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भारत के इस स्थान में मौजूद है दुनिया का सबसे बड़ा बरगद का पेड़, गिनीज बुक में भी नाम है दर्ज

aber news अबेर न्यूज। कोरोना काल से पहले सरकार ने लोगों से लाख अपील की थी  कि पेड़ लगाएं। पौधारोपण को लेकर कई अभियान भी चलाए ताकि पृथ्वी पर आ...


aber news अबेर न्यूज। कोरोना काल से पहले सरकार ने लोगों से लाख अपील की थी  कि पेड़ लगाएं। पौधारोपण को लेकर कई अभियान भी चलाए ताकि पृथ्वी पर आॅक्सीजन की कमी न हो पर सरकार के सारे प्रयास विफल रहे। कई स्थानों पर पेड़ लगाए जरूर गए पर वह भी देखरेख के अभाव में सूख गए। ऐसे में हम कह सकते हैं कि कोरोना के दौरान आॅक्सीजन की कमी से जो लोगों की मौतों हुई है इसमें यह भी एक कारण हो सकता है। ऐसा ही एक पेड़ बरगद का होता है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह 24 घंटे आॅक्सीजन देता है। यह काफी विशाल होता है और इसके जैसी शीतल छाया अन्य किसी वृक्ष से नहीं मिल सकती है। वैसे तो दुनिया में बहुत से बरगद के पेड़ पाए जाते हैं पर  लेकिन दुनिया का सबसे विशालकाय बरगद का पेड़ भारत में ही। वहीं बरगद का पेड़ दीर्घजीवी और विशाल होता है और सनातन धर्म में इसका पूज्यनीय स्थान है। वहीं भारत में पाए जाने वाला यह बरगद का पेड़ इतना विशाल है कि इसका नाम गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करा लिया है। यह पेड़ को 'द ग्रेट बनियन ट्री' के नाम से मशहूर है। बता दें कि ये विशालकाय बरगद का पेड़ 250 साल से भी ज्यादा पुराना है।

कोलकाता में स्थित है बरगद का पेड़,14,500 वर्ग मीटर में फैला
विश्व का ये सबसे बड़ा बरगद का पेड़ भारत में कोलकाता के आचार्य जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डेन में है। जानकारी के मुताबिक, इस पेड़ को 1787 में यहां स्थापित किया गया था। इस पेड़ की जड़ें और शाखाएं इतनी ज्यादा हैं, कि इससे पूरा एक जंगल बस गया है। इसे देखकर आप पहली बार में ये अंदाजा नहीं लगा सकेंगे कि ये केवल एक ही पेड़ है। ये पेड़ 14,500 वर्ग मीटर में फैला हुआ है, जो करीब 24 मीटर ऊंचा है। इस पेड़ की तीन हजार से भी ज्यादा जटाएं हैं, जो अब जड़ों में तब्दील हो चुकी हैं। इसकी विशालता की वजह से इस पेड़ को दुनिया का सबसे चौड़ा पेड़ या 'वॉकिंग ट्री' भी कहते हैं। आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि इस पेड़ पर 80 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी रहते हैं।

ये पेड़ जितनी विशालकाय है, उतना ही मजबूत भी है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 1884 और 1925 में कोलकाता में आए चक्रवाती तूफानों से भी इस पेड़ को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था। इस तूफान की वजह से पेड़ की कई शाखाओं में फफूंद लग गई थी, जिस कारण उन्हें काटना पड़ गया था। इसके बावजूद भी दुनिया में सबसे विशालकाय वृक्ष के तौर पर अपने प्रसिद्धि को बनाए रखा। भारत सरकार ने साल 1987 में इस विशालकाय बरगद के सम्मान में डाक टिकट जारी किया था। इस पेड़ को बॉटनिकल सर्वे आॅफ इंडिया का प्रतीक चिह्न के तौर पर भी पहचाना जाता है। बता दें कि इस पेड़ की देखरेख के लिए 13 लोगों की टीम को लगाया गया है। इसमें बॉटनिस्ट यानी वनस्पति वैज्ञानिक से लेकर माली तक शामिल हैं। इसकी समय समय पर जांच भी होती रहती है, ताकि इसे कोई नुकसान न पहुंच सके।

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