नई दिल्ली। तीन महीने हाहाकार मचाने के बाद कोरोना अब शांत होते जा रहा है, लेकिन इन तीन महीनों में कोरोना ने जो तांडव किया उसे कभी भुलाया नह...
नई दिल्ली। तीन महीने हाहाकार मचाने के बाद कोरोना अब शांत होते जा रहा है, लेकिन इन तीन महीनों में कोरोना ने जो तांडव किया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। दूसरी लहर इतनी ज्यादा खतरनाक थी कि लाशों के ढेर लग गए थे और अभी भी मौतों का सिलसिला नहीं रुक रहा है। वैसे अब तक देश में कोरोना संक्रमण का कहर अब कम होने लगा है, लेकिन अब भी कुछ राज्यों से मौत के डराने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं। पिछले छह हफ्तों के दौरान चार राज्यों को छोड़कर हर राज्य में कोविड से दोगुनी मौतें हुई हैं और कुछ राज्य ऐसे भी रहे, जहां मरने वालों का आंकड़ा चार गुना तक बढ़ गया. हालांकि पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख इस ट्रेंड को कम करने वाले एकमात्र राज्य हैं। देश में 1 अप्रैल के बाद से लगभग 2.1 लाख लोगों की कोविड-19 से मौत हुई है. इनमें से 55 प्रतिशत से ज्यादा यानी 1.18 लाख से अधिक मौतें केवल पांच राज्यों से दर्ज की गईं, इन राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, दिल्ली और उत्तर प्रदेश शामिल हैं. यह हैरान करने वाली बात है कि कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें इन राज्यों में हुई हैं।
मौत की संख्या बिहार में सबसे अधिक
इन पांच राज्यों में पिछले छह हफ्तों के दौरान कोरोना से मौत का आंकड़ा 2 से 2.5 गुना तक बढ़ गया। कुछ राज्यों में 80 प्रतिशत मौतें 1 अप्रैल के बाद से देखी की गई हैं। मौत की संख्या बिहार में सबसे अधिक है क्योंकि 1 अप्रैल के बाद राज्य में कोरोना से 83 प्रतिशत लोगों की मौत हो गई. हालांकि मौत का यह आंकड़ा दो दिन पहले हुईं 4,000 मौतों के कारण बढ़ गया है। छह हफ्तों के दौरान देश में मरने वालों की संख्या दो गुना से भी अधिक बढ़ गई है. मौत के मामले जहां पहले 1.64 लाख थे, वहीं इस अवधि के दौरान बढ़कर 3.73 लाख से ज्यादा हो गए हैं. आंकड़े बताते हैं कि पिछले छह हफ्तों के दौरान और उससे पहले की अवधि में विभिन्न राज्यों में होने वाली मौतों के अनुपात में बहुत कम बदलाव आया है।
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