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इस गांव में होती है चमगादड़ की पूजा

 रामपुर। कोरोना वायरस ने इस समय पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है. लोग इस बीमारी के फैलने की वजह चमगादड़ों को मान रहे हैं, लेकिन क्या जानते...


 रामपुर। कोरोना वायरस ने इस समय पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है. लोग इस बीमारी के फैलने की वजह चमगादड़ों को मान रहे हैं, लेकिन क्या जानते हैं कि भारत में एक गांव ऐसा भी है. जहां पर चमगादड़ की पूजा की जाती है. यह सुनकर आपको हैरानी जरूरी होगी. परन्तु इस गांव के लोगों का मानना है कि चमगादड़ हर महामारी को दूर रखता है और धन की कमी नहीं होने देता, इसलिए वह चमगादड़ की पूजा करते हैं।
हम जिस गांव के बारे में बात कर रहे हैं उसका नाम है सरसई (रामपुर रत्नाकर), जो वैशाली जिले में पड़ता है। यहां के लोग चमगादड़ों को ग्राम देवता के रूप में मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। वह इन्हें संपन्नता का प्रतीक मानते हैं। उनका मानना है कि जिस इलाके में चमगादड़ निवास करते हैं, वहां धन की कोई कमी नहीं होती। लोगों के अनुसार गांव में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले लोग चमगादड़ों की पूजा करते हैं, ताकि सब कार्य अच्छे से सम्पन्न हो जाएं। इस गांव में सैकड़ों की संख्या में चमगादड़ एक तालाब के किनारे पीपल के पेड़ के पास ही रहते हैं। जो लोगों की बसावट से थोडा ही दूर है। ग्रामीणों के अनुसार, रात में कोई दूसरा व्यक्ति इस गांव में आता है तो ये चमगादड़ शोर मचाने लगते हैं।
इस गांव में सैकड़ों की संख्या में ये चमगादड़ एक तालाब के किनारे पीपल के पेड़ पर और आसपास के अन्य पेड़ों पर निवास करते हैं. इन चमगादड़ों की वजह से ही यह गांव पूरे इलाके में मशहूर है और लोग दूर-दूर से इन्हें देखने के लिए आते हैं. गांव वालों का कहना है कि अगर रात में कोई बाहरी व्यक्ति इस गांव में आता है तो ये चमगादड़ शोर मचाने लगते हैं जबकि गांव वालों के आने पर ये शांत रहते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यहां के लोगों का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि इस गांव में ये चमगादड़ कब से रह रहे हैं, लेकिन वह एक कहानी सुनाते हैं, जिसके मुताबिक मध्यकाल में एक बार वैशाली जिले में महामारी फैली थी, तब ये चमगादड़ कहीं से उड़कर यहां आ गए और फिर यहीं के होकर रह गए. उनका मानना है कि इन चमगादड़ों की वजह से ही यहां कभी महामारी नहीं फैलती।

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