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शिक्षा, स्वास्थ्य, वनाधिकार प्रपत्र को लेकर सीपीआई ने धरना दे ज्ञापन सौंपा

  कोण्डागांव। जिले के माकड़ी तहसील में शिक्षा, स्वास्थ्य, वनाधिकार प्रपत्र आदि को लेकर सीपीआई कोण्डागांव के द्वारा धरना देकर ज्ञापन सौंपा गय...

 


कोण्डागांव। जिले के माकड़ी तहसील में शिक्षा, स्वास्थ्य, वनाधिकार प्रपत्र आदि को लेकर सीपीआई कोण्डागांव के द्वारा धरना देकर ज्ञापन सौंपा गया है। सीपीआई कोण्डागांव के जिला सचिव का.तिलक पाण्डे के दिषा निर्देषानुसार कोण्डागांव जिले के माकड़ी तहसील के विभिन्न ग्रामों में निवासरत ग्रामीणजनों से निरंतर प्राप्त हो रही समस्याओं व मांगों को ध्यान में रखकर क्षेत्र में शिक्षा, चिकित्सा, वनाधिकार प्रपत्र आदि जैसी 5 गंभीर मुद्दों को लेकर सीपीआई कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में विभिन्न ग्रामों के पीडि़त ग्रामीणजनों के साथ मिलकर तहसील मुख्यालय माकड़ी में एक दिवसीय धरना देकर राज्यपाल एवं मुख्य मंत्री के नाम सम्बोधित ज्ञापन को तहसीलदार माकडी को सौंपा गया। सौंपे गए ज्ञापन में लेख किया गया है कि माकड़ी तहसील में शिक्षा, स्वास्थ्य, वनाधिकार प्रपत्र आदि समस्याओं व मांगों के समाधान के लिए शासन-प्रशासन द्वारा कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। शासन-प्रशासन के उदासीन रवैये की वजह से माकड़ी तहसील का विकास थम सा गया है। माकड़ी तहसील में व्यवसायिक पाठ्यक्रम की कोई सुविधा नहीं है, जिसके कारण माकड़ी तहसील के विद्यार्थियों को अध्ययन करने के लिए बाहर जाना पड़ता है।
चिकित्सा का स्तर अत्यन्त निम्न कोटी का है, सामान्य सर्दी-खांसी के ईलाज लिए भी माकड़ी तहसील से बाहर जाना पड़ता है। अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2008 पूरे देश में एक साथ लागु हो चुका है। वनाधिकार कानुन को लागु हुए आठ वर्ष से भी अधिक का समय हो चुका है पर वास्तविक हकदार किसानों को वनाधिकार कानुन का लाभ नहीं मिल पा रहा है। शासन द्वारा गांवों का सीमांकन भी ग्रामीणों से बिना चर्चा किये किया गया है, जिससे ग्रामीणों में विवाद की स्थिति निर्मित हो गयी है। भूमिहीन किसानों द्वारा जब वन भूमि पर कब्जा कर कृषि कार्य प्रारंभ किया गया उस दौरान गांव की सीमायें अलग थी, इसी दौरान वन विभाग द्वारा वनों का सीमांकन कर वन की सीमायें संबंधित ग्राम पंचायतों से सलाह लिए बिना की गयी, जिससे गांवों की सीमायें परिवर्तित हो गयी है, जिससे गांवों में वनाधिकार पट्टा को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित हो गयी है। शासन-प्रशासन द्वारा भी वनाधिकार प्रपत्र दिये जाने में दोहरी नीति अपनायी जा रही है। भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी इसी तरह की समस्याओं को लेकर लगातार आन्दोलनरत रही है। लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है इसलिए माकड़ी तहसील की उक्त समस्याओं का निराकरण कर आवश्यक कार्यवाही करने का आग्रह करते हुए सीपीआई जिला कोण्डागांव की तहसील शाखा माकड़ी बस्तर संभाग के सभी जाति वर्ग के लोगों को जो वन भूमि पर वर्ष 2005 के पूर्व से काबिज काश्त हैं उन्हें वरियता के आधार पर वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2008 के प्रावधानों के तहत वनाधिकार प्रपत्र तत्काल प्रदान किया जाय। वे किसान जो 2005 के पूर्व से वन भूमि पर काबिज होकर कृषि कार्य कर रहे है व उन्हें वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2008 के तहत वन अधिकार मान्यता प्रपत्र प्राप्त नहीं हो पाया है व उनके द्वारा काबिज भूमि पर वन विभाग द्वारा पौधा रोपण किया जा रहा है, उस पर तत्काल रोक लगायी जाये। वन विभाग द्वारा ग्रामीणों से बिना सलाह मशविरा किये वनों की तथा गांवों की सीमायें निर्धारित की गयी है जिससे ग्रामीणों में वन तथा गांवों की सीमा को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है उस पर तत्काल जांच कमेटी बैठाकर ग्रामीणों की सलाह से 1908 व 1924 के राजस्व तथा पुराने वन नक्शों के आधार पर ग्राम व वनों की सीमायें निर्धारित की जाये। कोण्डागांव जिले के माकड़ी व विश्रामपुरी तहसील में तत्काल महाविद्यालय की स्थापना की जाए।

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