रायपुर। आजादी के पहले और उसके बाद आर्थिक और सामाजिक केंद्रीयकरण के दृष्टिकोण से रायपुर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। टेक्सटाइल से...
रायपुर। आजादी के पहले और उसके बाद आर्थिक और सामाजिक केंद्रीयकरण के दृष्टिकोण से रायपुर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। टेक्सटाइल से लेकर किराना इत्यादि का मार्केट यहां 70-80 साल पहले ही विकसित होने लगा था। यही वजह है कि प्रदेश की तुलना में रायपुर में आजादी के बाद से ही आबादी में वृद्धि ज्यादा रही।
पहली जनगणना यानी 1951 में रायपुर शहर की आबादी सिर्फ 91 हजार थी। राज्य अलग होने के बाद 2001 में रायपुर की जनसंख्या 7.53 लाख थी, जो अब 17 लाख से अधिक हो गई है। विशेषज्ञों और सांख्यिकी से जुड़े लोगों का कहना है कि 2011 से 2021 के बीच ही लगभग साढ़े 5 लाख से ज्यादा लोग बढ़ चुके हैं और ऐसी ही वृद्धि रही तो अगले एक दशक में शहर की आबादी 25 लाख से अधिक होगी। आजादी के बाद से अब तक राजदानी में हर दशक में जनसंख्या वृद्धि की दर 32 से 66 फीसदी रही है। इसकी तुलना अगर प्रदेश से की जाए तो यहां आबादी में वृद्धि आधे से भी कम यानी 18 से 28 फीसदी के बीच ही है। समाजशास्त्रियों और इतिहासकारों के अनुसार प्रदेश के अन्य हिस्सों की तुलना में रायपुर में अच्छी सुविधाएं और बसाहट के लिए तात्कालिक परिस्थितियां ज्यादा अनुकूल थीं।
प्रदेश का यह बड़ा राजनीतिक केंद्र भी था। 1951 में रायपुर की जनसंख्या 91 हजार थी, तब प्रदेश की आबादी 74.56 लाख थी। यानी उस वक्त प्रदेश की कुल आबादी का 1.22 प्रतिशत हिस्सा रायपुर में रहता था। 2021 के अनुमान के मुताबिक प्रदेश की कुल आबादी का 5.32 फीसदी रायपुर शहर में रहता है। यह सिर्फ शहर का अनुपात है। जिले में यह दोगुना से अधिक है। आजादी के बाद 1951 में जनगणना हुई तब रायपुर में गुढिय़ारी, पुरानीबस्ती, बूढ़ापारा और गोलबाजार जैसे कुछ इलाके ही लोगों के रहने और कारोबार के लिए मुफीद थे। रिहायशी इलाका था 50 वर्ग किमी, जिसकी आबादी 91 हजार थी। 2011 की जनगणना के अनुसार निगम की सीमा और रिहायशी इलाका लगभग 226 वर्गकिलोमीटर था। पिछले एक दशक में निगम का दायरा और रिहायशी सीमा भी बढ़ी है। जयस्तंभ चौक से दक्षिण में डुंडा और सेजबहार, उत्तर में सड्ढू-कचना, पूर्व में जोरा और पश्चिम में हीरापुर-जरवाय तक यानी लगभग 400 वर्ग किलोमीटर में बसाहट बढ़ गई है।
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