abernews । पानी में तैरती नावों में बैठना घूमना किसे अच्छा नहीं लगता. हर कोई चाहता है कि वो पानी में तैरती खूबसूरत नौकाओं में सैर करे. दिन म...
abernews । पानी में तैरती नावों में बैठना घूमना किसे अच्छा नहीं लगता. हर कोई चाहता है कि वो पानी में तैरती खूबसूरत नौकाओं में सैर करे. दिन में दो-चार घंटे के लिए तो हर कोई पानी के बीच में गुजार सकता है. लेकिन किसी को हमेशा के लिए पानी में रहने के लिए कह दिया जाए तो क्या होगा. यकीनन उसकी हालत नाजुक हो जाएगी।
लेकिन चीन में एक पूरा गांव समुद्र के बीचोंबीच बसा हुआ है वो भी तैरती नावों पर. इन तैरते घरों की संख्या 2000 से अधिक है. दरअसल, चीन के फुजियान प्रांत में निंगडे शहर में हजारों लोगों की एक बस्ती पानी में तैरती रहती है. टांका बस्ती दुनिया की इकलौता ऐसी रहने की जगह है जो समुद्र पर बसी हुई है।
ये बस्ती कोई पांच- साल दस साल पुरानी नहीं है, बल्कि इसे बसे हुए1300 साल हो गए. इस बस्ती में दो हजार से अधिक घर हैं, जिनमें करीब साढ़े आठ हजार लोग रहते हैं. इस गांव के लोग मछलियां मारकर अपनी आजीविका चलाते हैं. इस गांव के सभी लोगों का पेशा मछलियां पकड़ना ही है. इन्हें टांका कहा जाता है. यहां के लोग समुद्र में मछलियां मारते हैं और इसी से अपना गुजारा करते हैं. बता दें कि यहां रहने वाले लोगों ने पानी में तैरने वाले घरों के साथ ही बड़े-बड़े प्लेटफार्म भी लकड़ी से तैयार किए हैं. जहां उनके सामुदायिक कार्यक्रम होते हैं और बच्चे भी खेलते हैं।
बताया जाता है कि कि 700 ईस्वी में शासकों के उत्पीड़न से ये लोग नाराज होकर यहां बस गए. इन मछुआरों के पूर्वज 1300 साल पहले शासकों से परेशान होकर समुद्र में आकर बस गए थे. तब से वे यहीं रह रहे हैं. बता दें कि चीन में 700 ईस्वी में तांग राजवंश का शासन था. टांका समूह के लोग वहां के शासकों के उत्पीड़न से परेशान थे. लगातार उत्पीड़न बढ़ने पर इन लोगों ने समुद्र में रहने का फैसला कर लिया था.
इसके बाद ये लोग समुद्र में अपनी नाव पर घर बनाकर रहने लगे. तब से ये लोग समुद्र में ही रह रहे हैं. तभी से इन्हें 'जिप्सीज ऑन द सी' कहा जाने लगा. इस जाति के लोग कभी-कभी ही जमीन पर आते हैं।
ये लोग चीन में कम्युनिस्ट शासन आने के बाद समुद्र के किनारे आने लगे है. इससे पहले उनकी जिंदगी सिर्फ पानी के बीच में ही थी. यहां तक कि ये लोग समुद्री किनारे पर बसे लोगों के साथ शादियां भी नहीं करते थे. इनकी शादियां पानी में बसी नावों पर ही हुआ करती थीं।
हालांकि अब स्थानीय सरकार से प्रोत्साहन मिलने के बाद इन लोगों ने समुद्र किनारे घर बनाने शुरू कर दिए हैं. लेकिन ज्यादातर लोग अपने परंपरागत तैरते हुए घरों में रहना ही पसंद कर रहे हैं।
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