काबुल। एक महिला मंत्री नहीं बन सकती। महिला का मंत्री बनना ऐसा है, जैसे उसके गले में कोई चीज रख देना, जिसे वो उठा नहीं सकती हैं। महिलाओं का...
काबुल। एक महिला मंत्री नहीं बन सकती। महिला का मंत्री बनना ऐसा है, जैसे उसके गले में कोई चीज रख देना, जिसे वो उठा नहीं सकती हैं। महिलाओं का कैबिनेट में होना जरूरी नहीं है। उन्हें बच्चे पैदा करना चाहिए। उनका यही काम है। महिला प्रदर्शनकारी अफगानिस्तान में सभी का प्रतिनिधित्व नहीं कर रही हैं। यह बयान है तालिबान के प्रवक्ता सैयद जकीरुल्लाह हाशमी का। सत्ता हथियाने के समय महिलाओं को उनके अधिकार देने की बात करने वाले तालिबान के सुर सरकार गठन के साथ ही बदल गए हैं। उन्हें उतने ही अधिकार दिए जा रहे हैं, जितने में वे सिर्फ जिंदा रहने के लिए सांस ले सकें।
कॉलेजों में डलवाया गया पर्दा
इससे पहले खबर आई थी कि अफगानिस्तान में महिलाओं पर पढ़ाई को लेकर कई तरह के प्रतिबंध लागू कर दिए गए हैं। कॉलेजों में पर्दा लगवा दिया गया है, जिसमें एक तरफ लड़के तो दूसरी तरफ लड़कियां बैठ कर पढ़ाई करेंगी। इसके अलावा लड़कियों को पढ़ाने के लिए महिला या फिर बुजुर्ग शिक्षक ही रखे जा रहे हैं।
मास्टर व पीचएडी डिग्री पर भी आ चुका है बयान
सरकार गठन के बाद ही तालिबान की ओर से मास्टर व पीएचडी डिग्री पर भी बयान जारी किया जा चुका है। तालिबान का कहना था कि मास्टर व पीएचडी डिग्री लेने से कोई फायदा नहीं है। हम लोग बिना पढ़े सरकार चला रहे हैं। अपने अधिकारों को लेकर संघर्ष कर रहीं महिलाओं का प्रदर्शन पूरे अफगानिस्तान में बढ़ रहा है। काबुल में सड़कों पर उतर चुकी महिलाओं का प्रदर्शन उत्तर-पूर्वी प्रांत बदख्शां पहुंचा गया है। यहां पर भी कई महिलाएं सड़क पर उतर आई हैं। मीडिया को आजादी देने की बात कहने वाले तालिबान ने अपने नियम पूरी तहर से लागू कर दिए हैं। राजधानी काबुल में महिलाओं के प्रदर्शन को कवर करने वाले दो पत्रकारों को एक पुलिस स्टेशन में तालिबानियों ने जमकर पीटा। उन्हें चार घंटे तक बंधक बनाकर रखा गया और चाबुक से मारा गया।
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