Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

- Advertisement - Ads " alt="" />" alt="" />

सूरजपुर जिले में अचानक बढ़ी रहस्यमयी डीजल की डिमांड और बिक्री

सूरजपुर। गुजरात सहित अन्य कई प्रान्तों से आ रहे पेट्रोलियम उत्पाद की जिले में धड़ल्ले से बिक्री जारी है। प्रतिदिन हजारों लीटर इस उत्पाद को स...


सूरजपुर। गुजरात सहित अन्य कई प्रान्तों से आ रहे पेट्रोलियम उत्पाद की जिले में धड़ल्ले से बिक्री जारी है। प्रतिदिन हजारों लीटर इस उत्पाद को सप्लायर बायो-डीजल या इंडस्ट्रियल-ऑयल के नाम से भेज रहे हैं। अभी तक जिले में बड़े पैमाने पर इस पेट्रोलियम उत्पाद की खपत की जानकारी मिल रही है, लेकिन खाद्य विभाग के अधिकारी ने अभी तक इस संबंध में किसी भी जानकारी होने से इनकार किया है, जबकि जिले में संचालित कोयला खदान, क्रेशर उद्योग सहित ट्रांसपोर्टर द्वारा इसके बड़े पैमाने पर उपयोग की जानकारी सामने आ रही है। इस डीजल के मार्केट में आने से इसका सीधा असर पेट्रोल पंप संचालकों पर तो पड़ ही रहा है, जबकि दूसरी ओर राज्य सरकार सहित केंद्र सरकार को भी टैक्स के तौर पर बड़ी हानि हो रही है। पिछले कुछ दिनों से सूरजपुर जिले सहित अन्य आसपास के जिले में बायो-डीजल और इंडस्ट्रियल ऑयल के नाम से इस उत्पाद ने जमकर हंगामा किया हुआ है। पेट्रोल पंप में उपलब्ध डीजल की तुलना में यह डीजल लगभग 15-20 रुपये लीटर तक सस्ता पड़ रहा है, जिससे डीजल की बड़ी खपत करने वाले उपभोक्ता अब पेट्रोल पंप से डीजल न लेकर सीधे इस तेल का उपयोग करने लगे हैं। मिली जानकारी के अनुसार इस रहस्मयी डीजल की सबसे ज्यादा ख़पत कोयला खादानों के साथ क्रेशर उद्योग और कोयले सहित अन्य माल का परिवहन करने वाले ट्रांसपोर्टर द्वारा जमकर किये जाने की खबर है। मिली जानकारी के अनुसार यह रहस्यमयी डीजल अन्य प्रांतों से बड़ी-बड़ी टैंकरों में आने के बाद किसी सुरक्षित स्थान पर रखा जा रहा है, जहां पर से इसे छोटी वाहन में बने छोटे टैंकर के माध्यम से खदान सहित अन्य क्षेत्रों में भेजा जा रहा है।
हर कोई करना चाह रहा है इस व्यवसाय को
इस रहस्मयी डीजल की मांग मार्केट में इस कदर बढ़ी है कि अब इसकी जानकारी छोटे-बड़े कई व्यवसायियों को हो गई है, इसको लेकर अब कई लोगों के इस व्यवसाय से जुडऩे की खबर है। दरअसल इसमें सीधा सा एक ही फण्डा है कि डीज़ल का वर्तमान मूल्य 100 रुपये प्रति लीटर के आसपास है, ऐसे में यह डीजल 70-75 रुपये प्रति लीटर जीएसटी टैक्स के साथ पड़ रहा है, ऐसे में इस तेल की ख़पत मार्केट में अचानक बढ़ गई है और बड़ी खपत करने वाला उपभोक्ता या तो स्वयं इसे अन्य प्रांतों से मंगा रहे हैं या फिर किसी व्यवसायी से खरीद रहे हैं। जिसमें तेल की सप्लाई करने वालों को भी अच्छी खासी आमदनी हो रही है। इस तेल की बिक्री के साथ यह भी जानकारी आ रही है कि इस तेल के उपयोग करने से वाहनों के पंप सहित अन्य उपकरण में कुछ खराबी भी आ रही है, लेकिन उपयोग करने वाले उपभोक्ता की जिस ढंग से कमाई हो रही है, उसके सामने यह नुकसान कुछ भी नहीं है।
सीधा प्रभाव पड़ रहा है पेट्रोल पंपों पर
इस कथाकथित डीजल से आने का सीधा प्रभाव पेट्रोल पंप पर पड़ रहा है, इस पेट्रोलियम उत्पाद के आने से पेट्रोल पंप से बड़े उपभोक्ता डीजल लेना बंद कर दिए है। यह हाल सूरजपुर जिले का ही नहीं अन्य जिलों का भी है। इस संदर्भ में कुछ दिन पहले ही पेट्रोल पम्प संचालकों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर इस संदर्भ में ज्ञापन भी सौंपा था।
लग रहा है राज्य और केंद्र सरकार को चूना
पेट्रोल पम्प में बिकने वाले डीजल में राज्य सरकार को लगभग 25 प्रतिशत वेट टैक्स का लाभ मिलता है, जबकि केंद्र सरकार सेंट्रल एक्साइज़ ड्यूटी के नाम पर बड़ी रकम कमाती है। मिली जानकारी के अनुसार इस डीजल में 18 प्रतिशत जीएसटी टैक्स लग कर आ रहा है, ऐसे में केंद्र सरकार व राज्य सरकार प्रति लीटर सिर्फ 9-9 प्रतिशत की दर से टैक्स का लाभ ले पा रही है, ऐसे में इस डीजल की प्रदेश में खपत से केंद्र और राज्य सरकार दोनों को काफी नुकसान है।
खाद्य अधिकारी खुद पत्रकारों से पूछ रहे हैं पता
इस संदर्भ में खाद्य अधिकारियों से चर्चा करने पर उन्होनें इस प्रकार के किसी भी डीजल के आने की जानकारी से इंकार किया है, उन्होनें कहा कि मुझे तो नहीं मालूम है कि ऐसा कोई डीजल भी आ रहा है। उन्होनें कहा कि आप ही लोग बताइए कि यह डीजल कहां से और किस जगह पर आ रहा है और इसे कोई उपयोग में ला रहा है। जिला खाद्य अधिकारी का यह बयान अपने आप में काफी अचरज भरा है, क्योंकि जिस रहस्यमयी डीजल के लिए पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन रायपुर ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा है, ऐसे में विभाग को इसकी खपत और जिले में आवक को लेकर पूरी जानकारी रखनी चाहिए। अगर विभाग वाकई में इसे गंभीरता से ले रहा है तो विभाग को डीजल का उपयोग करने वाले बड़े उपभोक्ता से उनके द्वारा खरीदे जा रहे डीजल के बिल आऐडी की जानकारी लेनी चाहिए, जिससे यह आसानी से पता लग सके कि बड़े उपभोक्ता किस प्रकार और कहां के डीजल का उपयोग कर रहे है। यदि विभाग इस तरह की किसी संभावना को लेकर पड़ताल में जुट जाता है तो उसके लिए इसका पता लगाना मुश्किल भी नहीं होगा।

No comments