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गणेश चतुर्थी: कल विराजेंगे गजानन: इस बार बन रहा छह ग्रहों का मंगलकारी संयोग

रायपुर । इस साल गणेश पर्व पर छह ग्रहों एवं नक्षत्रों का संयोग बन रहा है। इसे शुभ मंगलकारी माना जा रहा है। इस संयोग में प्रथम पूज्य गणपति की ...


रायपुर । इस साल गणेश पर्व पर छह ग्रहों एवं नक्षत्रों का संयोग बन रहा है। इसे शुभ मंगलकारी माना जा रहा है। इस संयोग में प्रथम पूज्य गणपति की स्थापना करके विधिवत पूजन करने से कार्यों में सफलता मिलेगी। ज्योतिषाचार्य पं.विनीत शर्मा के अनुसार 10 सितंबर को सुबह से रात तक शुभ मुहूर्त में गणेश प्रतिमा की स्थापना की जा सकेगी। शुक्रवार को पड़ रही गणेश चतुर्थी पर अनेक ग्रह अच्छी स्थिति में होंगे। इस दिन बुध ग्रह कन्या राशि में, शुक्र ग्रह तुला में राहु ग्रह वृषभ में शनि ग्रह मकर में केतु ग्रह वृश्चिक राशि में होंगे। यह संयोग व्यापार, नौकरी, शेयर बाजार खेती के लिए शुभदायी माना जा रहा है। ग्रहों और राशि के शुभ संयोग के अलावा इस बार गणेश चतुर्थी पर चित्रा-स्वाति नक्षत्र के साथ रवि योग का संयोग बन रहा है। शुक्रवार को चित्रा नक्षत्र शाम 4.59 बजे तक रहेगा और इसके बाद स्वाति नक्षत्र लगेगा। चित्रा नक्षत्र, ब्रह्म योग, वणिज करण एवं तुला राशि में चंद्रमा में है। वणिज करण की स्वामिनी माता लक्ष्मी को माना जाता है। इस संयोग में भगवान गणेश के साथ, लक्ष्मीजी भी घर आएंगी। इसके एक दिन पहले हरतालिका तीज पर 9 सितंबर को दोपहर 2.30 बजे से रवि योग शुरू होकर 10 सितंबर को 12.57 बजे तक रहेगा। इन सभी योगों को अति शुभ माना जा रहा है। किसी भी तरह के नए कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा करके की जा सकती है।
भद्रा का असर नहीं
किसी भी शुभ कार्य में भद्रा काल हो तो उसे अशुभ माना जाता है, चूंकि भगवान गणेश प्रथम पूज्य देव हैं। वे विघ्हर्ता हैं, यानी मुसीबतों से छुटकारा दिलाते हैं, इसलिए भगवान गणेश की पूजा में भद्रा काल का कोई रोड़ा नहीं है। चतुर्थी तिथि पर सुबह 11.09 से रात 10.59 बजे तक भद्रा है, जिसका वास पाताल लोक में हैं। भद्रा काल में भगवान गणेश की पूजा करने में कोई व्यवधान नहीं आता।
पूजन का शुभ मुहूर्त
रवि योग- सुबह 6.01 से दोपहर 12.58 बजे
अमृत काल- सुबह 6.58 से सुबह 8.28 बजे
शुभ मुहूर्त - सुबह 11.03 से दोपहर 1.32 बजे
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11.30 से दोपहर 12.20 बजे
विजय मुहूर्त- दोपहर 1.59 से 2.49 बजे
गोधूलि मुहूर्त- शाम 5.55 से 6.19 बजे ।

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