दशरंगपुर परियोजना के सेक्टर में कर्मचारियों की उदासीनता के चलते बच्चे योजना से वंचित कवर्धा। एकीकृत बाल विकास परियोजना दशरंगपुर में विभागीय...
दशरंगपुर परियोजना के सेक्टर में कर्मचारियों की उदासीनता के चलते बच्चे योजना से वंचित
कवर्धा। एकीकृत बाल विकास परियोजना दशरंगपुर में विभागीय मॉनिटरिंग के चलते कुपोषित बच्चे को पोषित करने के लिए कोई रूचि नहीं दिखा रहा है। सेक्टर दशरंगपुर में 23 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनके लिए 756 अंडे व 504 केला पिछले सोमवार को आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 4 दशरंगपुर में भंडारित कर दिए गए, लेकिन इन्हें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने 1 सप्ताह बाद भी बच्चों को खिलाने के लिए नहीं ले गए। नतीजा यह हुआ कि केले और अंडे रखे-रखे सड़ गए। इससे साबित होता है कि कुपोषित बच्चों को स्वस्थ करने के लिए विभाग के जिलाधिकारी से लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में कोई रुचि नहीं है। कुपोषित बच्चों को स्वस्थ करने के लिए डीएमएफ फंड से राशि देकर कुपोषण मुक्त कबीरधाम बनाने के लिए उपयोग किया गया है, जिसमें कई प्रकार की विभागीय दिक्कतें आ रही हैं, इसमें परियोजना अधिकारियों के द्वारा जिला कार्यक्रम अधिकारी को गलत जानकारी देकर गुमराह कर रहे हैं।
कार्यकर्ताओं को रुचि नहीं
कबीरधाम जिले के किसी भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अंडा, केला वितरण में रुचि नहीं है। उसका मुख्य वजह है कि कार्यक्रम अधिकारी के द्वारा पत्र जारी किया गया है, जिसमें गरम भोजन प्रदाय कर रहे समूह के माध्यम से अंडा व केला का वितरण किया जाना है, लेकिन सेक्टर सुपरवाइजर व परियोजना अधिकारी के द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्वयं के पैसे से अंडा/ केला खरीद कर बच्चों को खिलाना है और उसका भुगतान माह के अंत में गरम भोजन के लिए सामग्री प्रदाय कर रहे समूह के खाते में जाएगा फिर समूह वाले आहरण कर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को राशि वापस करेंगे, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय कम होने के कारण आर्थिक समस्याओं के चलते इस योजना के लिए अपने पास से पैसा लगाने के लिए सक्षम नहीं है, जिसके चलते दशरंगपुर सेक्टर के हितग्राहियों को मिलने वाली योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया और 504 केले सड़ गए।
पर्यवेक्षक की नहीं मानी बात
सेक्टर पर्यवेक्षक पद्मिनी ठाकुर के द्वारा सोनवार अंडा व केला का भंडारण हुआ है तब से लगातार आंगनवाड़ी के कार्यकर्ताओं को सामग्री केंद्र क्रमांक 4 से उठाने के लिए बार-बार निर्देशित किया जा रहा है लेकिन कार्यकर्ताओं ने आर्थिक समस्याओं का हवाला देते हुए अंडा और केला को नहीं उठाया। कुछ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता केवल अंडा को ही ले गए हैं बाकी केले सड़ गया।
मानिटरिंग का अभाव
गंभीर व मध्यम कुपोषित बच्चे व उनकी शिशुवती माताओं के लिए पोषित होने के लिए अंडा व केला वितरण कर उन्हें स्वस्थ करने का योजना आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से किया जाना है जिसका मॉनिटरिंग करने की जिम्मेदारी परियोजना अधिकारी व सेक्टर पर्यवेक्षक को है लेकिन इनके द्वारा भी नियमित रूप से नहीं कर पा रहे हैं जिसके चलते केंद्र में रखें अंडे व केला खराब हो रहे हैं।
परियोजना अधिकारी दे रहे हैं गलत जानकारी
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि अंडा और केला आंगनबाड़ी केंद्रों में 0 से 6 साल के गंभीर व मध्यम कुपोषित बच्चों को खिलाना है जो बच्चे भोजन नहीं कर पाते उनके शिशुवती मां को एक उबला हुआ अंडा अथवा दो अकेला खिलाना है इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में गरम भोजन की सामग्री प्रदाय करने वाले महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से किया जाना है। योजना संचालन के लिए एजेंसी परियोजना अधिकारी को क्रियान्वयन एजेंसी बनाया गया है परियोजना अधिकारी के द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पर्यवेक्षक व समूह के सदस्यों से आपस में चर्चा कर स्थानीय उपलब्धता के आधार पर सामग्री की खरीदी करना है, उनके लिए शासन से प्रति हितग्राही 6 के आधार पर भुगतान करना है, लेकिन परियोजना अधिकारियों के द्वारा किसी बाहरी व्यक्ति से खरीदी कर सेक्टर मुख्यालयों के आंगनबाड़ी केंद्रों में भंडारित करा कर कार्यकर्ताओं को दबाव पूर्वक वहां से पैसा जमा कर सामग्री उठाने के लिए किया मजबूर जा रहा है । यह जानकारी कार्यक्रम अधिकारी को नहीं है ।
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