महिला ने कहा-खडग़वां पुलिस नहीं कर रही कार्रवाई, आरोपी पैदा कर कर भय का माहौल खडग़वां। बीते दिनों खडग़वां पुलिस कर्मियों पर कई गंभीर आरोप लगाए ...
महिला ने कहा-खडग़वां पुलिस नहीं कर रही कार्रवाई, आरोपी पैदा कर कर भय का माहौल
खडग़वां। बीते दिनों खडग़वां पुलिस कर्मियों पर कई गंभीर आरोप लगाए जा चुके हैं। जो कि सर्व विदित हैं। एक बार फिर से ऐसी परिस्थिति बनती दिख रही जब खडग़वां पुलिस की कार्य प्रणाली संदेह के दायरे में आती हुई नजर आ रही है। यह कहानी एक ऐसी ग्रामीण गरीब महिला की है जिसके आगे पीछे किसी तरह का सहयोग करने वाला कोई नहीं। ग्रामीण गरीब महिला ने नगर डोमनहिल में प्यून के पद पर पदस्थ एसईसीएल कर्मचारी पारस चक्रधारी पर शोषण का आरोप लगाया। जिसकी शिकायत खडग़वां थाने में की गई। महिला का आरोप है कि एसईसीएल कर्मी ने लंबे समय तक उसका शोषण किया और इस सब से तंग आकर अपनी अस्मिता हेतु उसने अपनी शिकायत दी। इस मामले में महिला का कहना है शिकायत की जांच हेतु उसे ऐसे दिन थाने में बुलाया गया जिस दिन सड़कों पर आवाजाही का साधन मिलना मुश्किल था। किसी अनहोनी के डर से महिला उस दिन अपना बयान देने थाने तक पहुंच कर भी भयवश थाने के अंदर नहीं जा पाई। क्योंकि एसईसीएल कर्मी आरोपी और उसके परिवार के लोग भी थाने के आस पास मौजूद थे। अंतत: छिप कर महिला बिना बयान दिये ही वापस चली गई।
पुलिस पर बयान को तोड़मरोड़ कर लिखने का आरोप
पुन: एक दो दिन बाद महिला अपना बयान दर्ज कराने थाने पहुंची। और उसका बयान लिया गया। महिला का आरोप है कि उसके बयान को तोड़ मरोड़ कर बयान दर्ज करने वाले अधिकारी ने लिखा और ऐसा लिखने से कुछ नहीं होता जैसे भावनात्मक शब्दों का इस्तेमाल कर महिला को भावनात्मक रूप से कमजोर कर उसके हस्ताक्षर लिए गए। महिला ने यह भी बताया कि वह अपने बयान में कह रही थी कि उसने मीडिया से मदद मांगी, किंतु बयान में शब्दों को तोड़ कर लिखा गया कि मीडिया के कहने पर उसने शिकायत की है। इन सबके बाद महिला पर समझौते का दबाव बनाने का खेल प्रारंभ हुआ। महिला ने यह भी कहा कि कुछ पुलिस वाले उससे पूछ रहे थे कि बयान देने किस बस से आओगी। जिससे महिला को अपनी सुरक्षा को लेकर संदेह हुआ।
एक महीने के बाद भी आरोपी पर एफआईआर नहीं
महिला का बयान हुए एक महीने से ऊपर का समय हो चुका है। इस बीच महिला पर लगातार समझौते का दबाव बनाने की कोशिश की गई। किंतु अब तक इस मामले में आरोपी पर एफ आईआर तक दर्ज नहीं की जा सकी। जबकि ऐसे मामलों में सर्वप्रथम एफ आई आर दर्ज की जाती है। जांच उसके बाद की जाती है। उल्लेखनीय यह है कि महिला बहुत गरीब है और उसके आगे पीछे केस मुकदमे में उसे सहयोग करने वाला कोई नहीं। उसके साथ पुलिस स्टेशन या कोर्ट तक जाने वाला कोई नहीं। और आरोपी के खुले घूमने से लगातार महिला भय के वातावरण में जी रही है।
पहले डर के कारण दर्ज नहीं कराई थी शिकायत
ऐसे में प्रशासन का कर्तव्य है कि महिला की सुरक्षा को सुनिश्चित कर उचित संज्ञान ले। महिला ने बताया कि इन्हीं सब कारणों की वजह से और असुरक्षा तथा प्रशासन की असंवेदनशीलता की वजह से वह पूर्व में अपने शोषण के विरोध में शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पायी थी। और आज जब उसने किसी तरह हिम्मत जुटा कर अपने पर होने वाले शोषण के विरोध में शिकायत दर्ज करवायी तो कोरिया प्रशासन की असंवेदनशीलता की वजह से कार्यवाही तो नहीं हुई बल्कि महिला अपने को और असुरक्षित महसूस कर रही। ऐसे में कोई आश्चर्य की बात नहीं कि कल को महिला अपना बयान बदल दे और चुपचाप शोषण सहने पर मजबूर हो जाए। सारी परिस्थितियों को और महिला की गरीबी और लाचारी को देखते हुए स्पष्ट है कि महिला का बयान कभी भी बदल सकता है। प्रश्न यह है कि ऐसी कौन सी मजबूरी है जो खडग़वां पुलिस को एस ई सी एल कर्मी पर मेहरबान होने पर मजबूर कर रही। और गरीब महिला पर समझौते का दबाव बनाने मजबूर कर रही। घटनाक्रम एक बार फिर खडग़वां पुलिस की कार्यप्रणाली को संदेह के घेरे में खड़ा कर रहे हैं।
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