वाशिंगटन। पाकिस्तान और तालिबान के बीच गहरी होती दोस्ती अब कई देशों को अखरने लगी है। इसलिए अब अमेरिका ने फैसला किया है कि वह पाकिस्तान को लेक...
वाशिंगटन। पाकिस्तान और तालिबान के बीच गहरी होती दोस्ती अब कई देशों को अखरने लगी है। इसलिए अब अमेरिका ने फैसला किया है कि वह पाकिस्तान को लेकर अपने रिश्तों की समीक्षा करेगा और भविष्य में कैसे रिश्ते पाकिस्तान के साथ रखने हैं यह तय करेगा। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने साफ किया कि तालिबान के साथ पाकिस्तान का जुड़ाव एक रणनीतिक चाल है। इसलिए अमेरिका पिछले 20 सालों में पाकिस्तान की भूमिका की समीक्षा करने के बाद ही कोई फैसला लेगा। ब्लिंकन ने अफगानिस्तान में भारत की मौजूदगी की सराहना की। उन्होंने सदन में विदेशी मामलों की समिति को जवाब देते हुए कहा कि अफगानिस्तान में भारत की मौजूदगी से पाकिस्तान को नुकसान हुआ है और खतरनाक गतिविधियों पर असर पड़ा है। रिपब्लिकन कांग्रेस सदस्य मार्क ग्रीन ने कहा कि आईएसआई जिस तरह से तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को खुलेआम समर्थन दे रहा है, ऐसे में भारत के साथ मजबूत संबंधों पर विचार करना चाहिए। संसद की विदेश मामलों की समिति में कांग्रेसी सांसद बिल कीटिंग ने कहा कि तालिबान को दोबारा से खड़ा करने में पाकिस्तान 2010 से मदद कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी सैनिकों की मौत में जिस हक्कानी नेटवर्क का हाथ था, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और इसी हक्कानी नेटवर्क के बीच गठबंधन है। ब्लिंकन ने सांसदों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हम पाकिस्तान को बेहतर भूमिका निभाते हुए देखना चाहते हैं। इसलिए आने वाले दिनों में उसकी भूमिका क्या होगी यह हमारे और इस्लामाबाद के रिश्ते को तय करेगा। उन्होंने कहा कि इस समय पाकिस्तान एक रणनीतिक चाल चल रहा है। एक तरफ वह तालिबान को पाल रहा है तो दूसरी और आतंकी गतिविधियों के खिलाफ हमारे अभियानों में साथ भी दे रहा है।
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