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भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने की स्कूल खोलने की सिफारिश, कहा -बच्चों को खतरा कम

  नई दिल्ली। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने देशभर में चरणबद्ध तरीके से स्कूलों को खोलने की सिफारिश की है। आ...

 


नई दिल्ली। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने देशभर में चरणबद्ध तरीके से स्कूलों को खोलने की सिफारिश की है। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव की निगरानी में हुए चिकित्सीय अध्ययन में वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि प्राथमिक स्कूलों के बच्चों में कोरोना का खतरा कम है। इसलिए पहले प्राथमिक स्कूलों को शुरू करना चाहिए। इसके बाद माध्यमिक स्कूलों को खोलना चाहिए। अधिकांश राज्य अलग अलग दिशा निर्देशों के तहत स्कूलों को खोल रहे हैं। दिल्ली की बात करें तो यहां सबसे पहले माध्यमिक स्तर के स्कूलों को खोला गया है। जबकि प्राथमिक स्कूलों को बाद में शुरू करने का फैसला लिया गया। अध्ययन में कहा गया है, 12 साल या उससे अधिक आयु के बच्चों में संक्रमण का उच्च जोखिम है। चूंकि अभी इस आयुवर्ग के लिए वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, लेकिन स्कूलों को शुरू करना भी जरूरी है। ऐसे में सभी कोविड सतर्कता नियमों का पालन करने के साथ प्राथमिक स्कूलों को सबसे पहले खोलना चाहिए। माध्यमिक स्कूलों को कुछ समय बाद शुरू किया जा सकता है। आईसीएमआर के मुख्य संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. समीरन पांडा और डॉ. तनु आनंद भी अध्ययन में शामिल है। उनका कहना है, कोविड-19 के दौरान लंबे समय तक स्कूल बंद रहने के कारण बच्चों के सर्वांगीण विकास पर असर पड़ा है। इसलिए स्कूलों को खोलने की जरूरत है। शुरुआत प्राथमिक विद्यालयों से की जा सकती है। यह चिकित्सीय अध्ययन इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईजेएमआर) में प्रकाशित होगा।
केवल 24 फीसदी बच्चों ने रेगुलर लीं क्लास
वैज्ञानिकों ने बताया, बीते अगस्त माह में पता चला है कि शहरी क्षेत्रों में केवल 24 फीसदी बच्चों ने नियमित क्लास ली है। स्कूल बंद होने की वजह से बच्चों ने ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण की है। वहीं झुग्गी और ग्रामीण इलाकों में केवल आठ फीसदी बच्चे हर दिन क्लास लेते रहे। यह सर्वे 15 राज्यों में किया गया था जिसमें 1362 बच्चों से बातचीत की गई थी। वैज्ञानिकों ने हैरानी जताई कि इस सर्वे में शामिल 50 फीसदी से भी अधिक बच्चे फॉर्म में दिए कुछ ही शब्द पढ़ सके।

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