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पोला तिहार कल, बच्चे दौड़ाएंगे बैल, घर घर महकेगा व्यंजन : शिव वर्मा

abernews राजनांदगांव। जिला भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्ष पार्षद दल के प्रवक्ता शिव वर्मा ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पोला तिहार की जनम...


abernews राजनांदगांव। जिला भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्ष पार्षद दल के प्रवक्ता शिव वर्मा ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पोला तिहार की जनमानस को बधाई देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ देश का ऐसा राज्य है, जहां 80 फीसद कृषि कार्य प्रधान है। यहां के निवासी पूरे वर्ष भर खेती कार्य में लगे रहते है। धान यहां की प्रमुख फसल है। यहां के निवासियों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत को कुछ इस तरह संजोकर रखा है।
श्री वर्मा ने आगे कहा कि कृषि कार्यों के दौरान साल के विभिन्ना अवसरों पर खेती कार्य आरंभ होने के पहले अक्ती, फसल बोने के समय सवनाही, उगने के समय एतवारी-भोजली, फसल लहलहाने के समय हरियाली आदि अवसरों व ऋतु परिवर्तन के समय को धार्मिक आस्था प्रकट कर पर्व-उत्सव व त्योहार के रूप में मनाते हुए जनमानस में एकता का संदेश देते हैं। इन्हीं पर्व-त्योहार की श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण त्योहार है पोला। इसे छत्तीसगढ़ी में पोरा भी कहते हैं। भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाने वाला यह पोला त्योहार, खरीफ फसल के द्वितीय चरण का कार्य (निंदाई कोड़ाई) पूरा हो जाने तथा फसलों के बढ़ने की खुशी में किसानों द्वारा बैलों का पूजन कर कृतज्ञता दर्शाते हुए प्रेम भाव अर्पित करते हुए यह त्योहार मनाते हैं क्योंकि बैलों के सहयोग से ही खेती कार्य किया जाता है। कुशग्रहणी या कुशोत्पाटिनी अमावस्या इसलिए कहा गया है कि इस दिन वर्ष भर किए जाने वाले धार्मिक कार्यों तथा श्राद्घ आदि कार्यों के लिए कुश (एक विशेष प्रकार की घास, जिसका उपयोग धार्मिक व श्राद्घ आदि कार्यों में किया जाता है) एकत्रित किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और अन्य पूजन कार्य करने से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव होता है, इसीलिए इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण और दान-पुण्य का अत्यधिक महत्व होता है। इस दिन कुश से पूजा की जाती है। पंचांग के आधार पर पोला का तिहार 06 सितंबर सोमवार को मनाया जाएगा।

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