नई दिल्ली। कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का इस्तीफा मांगने के बाद पंजाब की सिया...
नई दिल्ली। कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का इस्तीफा मांगने के बाद पंजाब की सियासत में उबाल आ गया है। गलियारों में चर्चाएं तेज हैं और कैप्टन की कुर्सी दांव पर लगी है। जानकारी मिलीहै कि पिछले कई दिनों से कैप्टन को हटाने की तैयारी चल रही थी। पंजाब विधानसभा चुनाव में मात्र छह माह शेष हैं। इस बीच कांग्रेस ने अपने सबसे मजबूत मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का इस्तीफा मांग लिया है। वहीं इसके बाद अब शाम को को कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई है, जिसमें आगामी रूप रेखा तय की जाएगी। चुनाव में छह महीने से भी कम समय बचा है, लेकिन पंजाब कांग्रेस चुनावी लड़ाई में एकजुट होने के बजाए म्यूजिकल चेयर खेलने में लग गई है। बहरहाल पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के भविष्य के लिए आज के विधायक दल की बैठक काफी अहम मानी जा रही है। कांग्रेस की पंजाब इकाई में जारी तनातनी के बीच कांग्रेस ने आज राज्य के कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई है। एआईसीसी के महासचिव एवं पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत ने शुक्रवार रात को इस बारे में घोषणा की। बताया जा रहा है कि बैठक में सभी विधायकों की बात सुनी जाएगी। कैप्टन से निराश 40 विधायकों के पत्र के बाद कांग्रेस आलाकमान ने एक बड़ा फैसला लेते हुए आज शाम पांच बजे चंडीगढ़ के पंजाब कांग्रेस भवन में विधायक दल की बैठक बुलाई है। विधायकों ने आलाकमान को पत्र लिख कर यह बैठक बुलाने की मांग की थी। बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय माकन और हरीश चौधरी भी मौजूद रहेंगे। विधायकों की बात सुनने के बाद पूरी रिपोर्ट तैयार कर हाईकमान को भेजेंगे। रावत ने विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की पंजाब इकाई में छिड़ी बगावत की ओर इशारा करते हुए पिछले हफ्ते चंडीगढ़ में संवाददाताओं से कहा था कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है और वह कुछ भी छिपाना नहीं चाहते हैं। पंजाब कांग्रेस में उठापटक इस कदर बढ़ गई है कि सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की कुर्सी पर संकट दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ उनके चार मंत्रियों और दो दर्जन से अधिक विधायकों के 'खुले विद्रोहÓ पर उतर आने की चर्चा है जिसमें वे कह रहे हैं कि उनका मुख्यमंत्री पर से विश्वास उठ गया है। माना जा रहा है कि नवजोत सिंह सिद्दू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के बाद यह विद्रोह तेज हुआ है।
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