abernews राजनांदगांव । कांग्रेस की सरकार द्वारा सहकारिता का पूरी तरह सरकारीकरण किया जा रहा है। कांग्रेस सरकार जब से सत्ता में आई है तब से स...
abernews राजनांदगांव । कांग्रेस की सरकार द्वारा सहकारिता का पूरी तरह सरकारीकरण किया जा रहा है। कांग्रेस सरकार जब से सत्ता में आई है तब से सहकारिता का दमन कर रही है।इसका सबसे ताजा उदाहरण 5 सितंबर को देखने को मिला जब फूलपुर से इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको)की यूरिया खाद की रैक को राजनांदगांव स्टेशन पहुंचने पर प्रशासन के अधिकारियों द्वारा जब्ती की कार्यवाही को अंजाम देकर झूंठी वाहवाही लूटने का प्रयास किया गया। जबकि वास्तविकता इससे अलग है।
भारतीय जनता पार्टी सहकरिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक एवम् इफको नई दिल्ली के आम सभा प्रतिनिधि शशिकांत द्विवेदी ने पत्रकार वार्ता में चर्चा के दौरान बताया कि सोसायटियों में खाद की भारी कमी को देखते हुए मेरे द्वारा इफको मुख्यालय नई दिल्ली के विपणन निदेशक श्री योगेंद्र कुमार जी से एक रैक यूरिया राजनांदगांव जिले की सोसायटियों में आपूर्ति किए जाने की मांग की गई जिसे गंभीरता से लेते हुए उन्होंने एक सितंबर को रैक लोड होकर चले जाने का आश्वासन दिया। इफको के फूलपुर सन्यंत्र से रैक रवाना होने की जानकारी भी इफको के स्टेट मैनेजर श्री चौहान द्वारा मुझे एक सितंबर को दी गई।किंतु पांच सितंबर को रैक को राजनांदगांव स्टेशन पहुंचने पर प्रशासन के अधिकारियों द्वारा उर्वरक नियंत्रण अधिनियम में प्रदत्त शक्तियों का हवाला देते हुए जब्ती की कार्यवाही कर झूठी वाहवाही लूटने का प्रयास किया गया। जबकि वास्तविकता यह है कि उक्त रैक में आई सभी खाद का परिवहन आदेश इफको के मुख्य क्षेत्र प्रबंधक राजनांदगांव श्री ए के उपाध्याय द्वारा रैक आने के एक दिन पूर्व चार सितंबर को ही विपणन संघ के लिए जारी किया जा चुका था। निजी विक्रेताओं के लिए खाद आई ही नहीं थी । निजी विक्रेताओं के लिए आई खाद को जप्त कर प्रचारित किया जाना सरासर झूठ है।श्री द्विवेदी ने बताया कि जहां तक मेरी जानकारी में है तो इस खरीफ सीजन में इफको द्वारा विपणन संघ को कुल रासायनिक उर्वरक 4130 मी टन अभी तक दिया गया है । और निजी विक्रेताओं को मात्र 360मी टन खाद उपलब्ध कराया गया है।
अतः यह कहना कि उक्त रैक निजी विक्रेताओं के लिए आई थी सरासर ग़लत है और किसानों को दिग्भ्रमित करने जैसा है।बल्कि इफको के विपणन निदेशक श्री योगेंद्र कुमार जी का धन्यवाद ज्ञापित किया जाना चाहिए कि उन्होंने किसानों के हित में मेरे आग्रह पर यूरिया की रैक उपलब्ध कराई। श्री द्विवेदी ने यह भी कहा कि इफको राष्ट्रीय स्तर की सहकारी संस्था है जो अधिकांशतः सहकारी समितियों को ही उर्वरक प्रदान करती है।
श्री द्विवेदी ने बताया कि राजनांदगांव जिले में रासायनिक उर्वरक का इस खरीफ सीजन में लक्ष्य 86900मी टन था जिसमें 16200मी टन निजी विक्रेताओं के लिए है और सोसायटियों के लिए 70700मी टन है।किंतु अधिकारियों की मिलीभगत से निजी विक्रेताओं को दोगुना से भी ज्यादा 32625मी टन खाद किसके इशारे पर उपलब्ध कराई गई ? जब सहकारी सोसायटियों के हिस्से की खाद निजी विक्रेताओं को पहुंचाई जा रही थी उस वक्त छापेमार कार्यवाही क्यों नहीं की गई ? जबकि सोसायटियों को अभी भी लक्ष्य से लगभग 8000मी टन खाद कम मुहैया कराई गई है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेलजी हमेशा खाद की कमी को लेकर केंद्र सरकार को दोषी ठहराते रहते हैं।इनके सरकार के कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने तो एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यहां तक बयान दिया था कि , छत्तीसगढ़ के किसान भी राष्ट्रीय उत्पादन में अपना योगदान देते हैं यदि केंद्र सरकार किसानों को खाद की आपूर्ति नहीं करता तो यह नेशनल क्राइम है ।मैं पूंछना चाहता हूं कि यदि किसानों के हित में आबंटित की गई खाद में जो हेराफेरी करता है वह किस अपराध की श्रेणी में आता है?
इसी तरह पूरे प्रदेश में लूट मची है। खाद की कालाबाजारी जोरों पर है। शासन प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। किसानों को ज्यादा दाम पर रासायनिक उर्वरक बाजार से खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है ।इसका विरोध करने हम व्यापक आंदोलन करेंगे।
दूसरा पहलू यह है कि मृतप्राय हो चुकी है जिन सहकारी संस्थाओं यथा बुनकर सोसाइटीयों, प्राथमिक कृषि साख सहकारी सोसायटीयों ,लघु वनोपज सहकारी समितियों आदि को तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जी ने पुनर्जीवित कर आर्थिक रूप से मजबूत करने का काम किया था उन्हीं सहकारी संस्थाओं को धान खरीदी में लचर व्यवस्था के चलते नेस्तनाबूत करने का षडयंत्र चल रहा है । मुख्यमंत्री जी द्वारा इस वर्ष रिकॉर्ड 9२ लाख मीटरी टन धान खरीदी का ढिंढोरा पीटा जा रहा है किंतु शासन की गलत नीति के चलते आज भी प्रदेश के उपार्जन केंद्रों में लगभग 19लाख क्विंटल धान पड़े पड़े सड़ रहा है जिसके समय रहते उठाव करने के लिए कबीरधाम जिले के लगभग 400 कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से त्यागपत्र दे दिया था एवं 24 जुलाई से प्रदेश के सभी सहकारी सोसायटीयों के लगभग 15000 कर्मचारियों ने हड़ताल कर सोसाइटी में तालाबंदी की नौबत उत्पन्न कर दी थी ।उनकी 5 सूत्री मांग थी कि सोसायटीयों में धान में आए शोर्टज के कारण कमी का भुगतान का प्रावधान किया जाए एवं रखरखाव में आए खर्चे का भी प्रावधान किया जाए। लेकिन सरकार ने इसके लिए कमेटी तो बना दी लेकिन आज तक कोई प्रावधान नहीं किया गया।प्रदेश के संग्रहण केंद्रों में भी लगभग 10 लाख मैट्रिक टन धान अभी भी पड़ा हुआ है। इस वर्ष सरकार की गलत नीति के चलते लगभग 30लाख क्विंटल धान सड़ने का अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है उसकी भी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री को लेनी चाहिए। सोसाइटीयों में धान के सुखत आने एवं सड़ जाने के कारण जो कमी आती है उसकी भरपाई सोसायटी को दिए जाने वाले कमीशन की राशि से काट ली जाती है जिससे सरकार को कम और सोसाइटीयों को ज्यादा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है । इस प्रकार कांग्रेस शासन काल में सहकारी समितियां आर्थिक रूप से दिनोंदिन कमजोर होती जा रही हैं।
श्री द्विवेदी ने कहा कि कांग्रेश सरकार अपने जन घोषणा पत्र में किए गए वादे से मुकर रही है। 25 00रुपया में धान खरीदी का वायदा करने वाली कांग्रेस सरकार किसानों को उसका पूरा मूल्य नहीं दे रही है ।गत वर्ष 2019-20 में की गई धान खरीदी की अंतर की पूरी राशि किसानों के खाते में आज तक नहीं जा पाई। इस प्रकार जहां प्रदेश के किसानों को लगभग ₹105 करोड़ का कम भुगतान हुआ वही राजनांदगांव जिले के 1लाख 68हजार किसानों को ₹5करोड़ 22लाख का कम भुगतान हुआ है ।इस प्रकार कांग्रेस सरकार एक बार फिर किसानों के साथ धोखा किया है ।किसान हितैषी होने का ढिंढोरा पीटने वाली कांग्रेस सरकार हर मोड़ पर किसानों के साथ विश्वासघात कर रही है।
श्री द्विवेदी ने यह भी कहा कि सहकारी सोसाइटी के माध्यम से किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा कराते हैं किंतु 2018 में घुमका , ऊपरवाह,और पदुमतरा सोसायटीयों के अंशधारक किसानों द्वारा सोसाइटी के माध्यम से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत धान फसल का बीमा कराया गया था किंतु कोऑपरेटिव बैंक और सोसायटी की लापरवाही के चलते किसानों को बीमा क्लेम का भुगतान आज तक नहीं किया गया है। इसका तत्काल भुगतान किया जावे ।नहीं तो किसानों के हित में हम व्यापक आंदोलन करेंगे।साथ ही हम मांग करते हैं कि धान खरीदी के समय में किसानों द्वारा उपलब्ध कराए गए बरदानों की पूरी रकम आज तक नहीं मिल पाई है उसे तत्काल भुगतान किया जाए एवं 2 वर्ष का बोनस, जिसे सत्ता में आते ही दिए जाने का वादा किया था उसे भी तत्काल दिया जावे। इस प्रकार सरकार हर मोर्चे पर विफल हो रही है। सहकारी समितियों का सरकारी करण किया जा रहा है। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं ।यदि सरकार समय रहते इस पर ध्यान नहीं देती है तो हम उग्र आंदोलन करने से भी नहीं चूकेंगे।
No comments