कांकेर। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के पलेवा-भैसाकट्टा इलाके के ग्रामीणों ने उस वक्त राहत की सांस ली, जब आदमखोर तेंदुआ वन विभाग के पिंजरे में क...
कांकेर। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के पलेवा-भैसाकट्टा इलाके के ग्रामीणों ने उस वक्त राहत की सांस ली, जब आदमखोर तेंदुआ वन विभाग के पिंजरे में कैद हो गया। पिछले कुछ महीनों से इस तेंदुए ने लोगों की नींद उड़ा रखी थी. पलेवा और भैसाकट्टा में तेंदुए ने दो लोगों को मार डाला था, वहीं ग्रामीणों के मुताबिक तेंदुआ कई लोगों को घायल भी कर चुका था। तेंदुए के आदमखोर होने से लोगो में भारी दहशत का माहौल था जिसको देखते हुए वन अमले में तेंदुए को पकडऩे अलग-अलग इलाको में पिंजरा लगाया था। 4 दिन के इंतज़ार के बाद आखिरकार तेंदुए पिंजरे में कैद हुए हैं, जिसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली है। वन विभाग के लिए राहत की बात यह है कि एक ही रात में दो तेंदुए पिंजरे में कैद हो गए हैं। वन विभाग दोनो तेंदुओं को नन्दनवन रायपुर ले जाने की तैयारी में है। पहली बार हुए हमले के बाद से ही ग्रामीण और वन विभाग की टीम इस तेंदुए की तलाश में जुटे हुए थे।
दहशत में थे गांव के लोग
वन विभाग ने अलग-अलग जगहों पर पिंजरे भी लगाए हुए थे। कई बार तेंदुए को इलाके में देखा गया, पर किसी भी पिंजरे में वो कैद नहीं हुआ। लगातार बढ़ रहे तेंदुए के हमले से ग्रामीण सहमे हुए थे। वो शाम होने के बाद घर से बाहर निकलना मुनासिब नहीं समझते थे।
आखिरकर पकड़ा गया आदमखोर तेंदुआ
इस बार तेंदुए को फंसाने के लिए वन विभाग ने एक बकरी को पिंजरे के अंदर रखा। बकरी को अपना शिकार बनाने के लिए जैसे ही तेंदुआ उस पर झपटा पिंजरे का दरवाजा बंद हो गया और तेंदुआ उसमें कैद हो गया। जानकरी के अनुसार पलेवा गांव के स्कूल के पीछे एक पिंजरा लगाया गया था जंहा तेंदुआ फंसा है वहीं भैसाकट्टा गांव में भी एक पिंजरा लगाया गया था जहां तेंदुआ फंस गया है। इस तरह वन विभाग ने आतंक का पर्याय बन चुके दो तेंदुओं को बीती रात दो पिंजरा में कैद करने में सफलता हासिल की है। पकड़ में आये तेंदुए को फारेस्ट विभाग के रेस्ट हाउस में लाया गया, स्वास्थ्य परीक्षण के बाद नंदनवन रायपुर या नजदीक के जंगल में छोडऩे पर विचार किया जाएगा विचार। पकड़ में तेंदुए की उम्र एक से डेढ़ साल के करीब है।
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