अफगानिस्तान। तालिबान के कब्जे के बाद से ही देश में उथल-पुथल का माहौल है. विदेशी नागरिकों, अधिकारियों के साथ ही कई अफगानी नागरिक भी देश छोड़क...
अफगानिस्तान। तालिबान के कब्जे के बाद से ही देश में उथल-पुथल का माहौल है. विदेशी नागरिकों, अधिकारियों के साथ ही कई अफगानी नागरिक भी देश छोड़कर जा चुके हैं और अब तालिबानी हुकूमत के दौर की शुरुआत हो चुकी है. आम जन-जीवन के साथ ही देश में खेलों को लेकर भी लगातार आशंका के बादल मंडरा रहे हैं और इसमें सबसे अहम क्रिकेट का भविष्य है, जो पिछले एक दशक में इस देश की पहचान बना है. तालिबानी आकाओं ने हालांकि, देश की क्रिकेट टीम को पूरे समर्थन का भरोसा दिलाया है, लेकिन उसके बावजूद संकट बरकरार है और हालिया घटनाक्रम ने इसे और पुष्ट किया है। ताजा मामले में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने अफगानिस्तान के खिलाफ होने वाले इकलौते टेस्ट मैच को रद्द करने की धमकी दी है और उसका कारण तालिबानी हुकूमत का एक फैसला है। क्रिकेट को समर्थन देने की बात करने वाले तालिबान ने इस मामले में अपना कट्टरपंथी रूप दिखाते हुए साफ कहा है कि वह सिर्फ पुरुष क्रिकेट टीम को ही इसकी इजाजत देगा, न कि महिला टीम को। ऑस्ट्रेलियाई चैनल एसबीएस को दिए एक इंटरव्यू में तालिबान के नेता ने कहा था कि क्रिकेट महिलाओं के लिए जरूरी श्रेणी में नहीं आता, इसलिए उसकी इजाजत नहीं दी जाएगी. इतना ही नहीं, तालिबान ने देश में महिलाओं के खेल या मनोरंजन से जुड़े क्षेत्र में हिस्सेदारी पर रोक लगाने का फैसला किया है और कहा है कि इस्लाम के शरिया कानून के तहत ऐसी किसी भी गतिविधि में महिलाओं को शामिल नहीं होने दिया जाएगा, जिसमें उनके शरीर का अंग दिखने की संभावना हो।
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