रमन सिंह जब चुनाव हार कर राजनैतिक वनवास काट रहे थे तब भूपेश बघेल मध्यप्रदेश में मंत्री थे abernews रायपुर। डॉ. रमन सिंह द्वारा यह कहना कि जब...
abernews रायपुर। डॉ. रमन सिंह द्वारा यह कहना कि जब भूपेश बघेल राजनीति की ए.बी.सी.डी. सीख रहे थे वे केंद्र में मंत्री थे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन सिंह जब विधानसभा चुनाव हार कर रमन मेडिकल स्टोर्स कवर्धा में राजनैतिक वनवास काट रहे थे तब भूपेश बघेल अविभाजित मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह मंत्रिमंडल में मंत्री थे। जब रमन सिंह केंद्र में राज्य मंत्री थे, तब भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार के मंत्रिमंडल में पीएचई और राजस्व मंत्री थे। सवाल रमन सिंह के उम्र में ज्यादा होने या पहले राजनीति में पदार्पण का नहीं है। सवाल है भारतीय जनता पार्टी में रमन सिंह की अप्रासंगिकता का है इसमें कोई दो राय नहीं कि रमन सिंह छत्तीसगढ़ में तीन बार मुख्यमंत्री रहे है लेकिन आज भारतीय जनता पार्टी रमन सिंह से छुटकारा पाने में लगी है।
कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि 15 साल मुख्यमंत्री रहने के बावजूद भाजपा रमन सिंह को अपना चेहरा मानने से इंकार करती है। रमन सिंह खुद को पार्टी का एक छोटा चेहरा घोषित करते हैं लेकिन भाजपा प्रभारी उनको फिर से चेहरा मानने से इंकार करती है। वरिष्ठता के कारण रमन सिंह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भले ही बना दिये गये लेकिन भाजपा नेतृत्व ने उनको राष्ट्रीय स्तर पर उपयोग के लायक कभी नहीं समझा। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में उन्हें कोई काम नहीं दिया गया, जब भूपेश बघेल असम में कांग्रेस के चुनाव के पर्यवेक्षक बनाये गये उनकी असम के कांग्रेस ने ताबड़तोड़ सभायें करवाया। तब भाजपा ने रमन को असम प्रेस कांफ्रेंस करने भेजा। भूपेश बघेल उत्तरप्रदेश में कांग्रेस के सीनियर आब्जर्वर बनाये गये हैं तब रमन सिंह को उत्तरप्रदेश भेजा जाता है। इसका सीधा अर्थ है कि रमन सिंह की भाजपा नेतृत्व के सामने उपयोगिता मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कारण ही है। रमन सिंह के तिलमिलाने के बजाय सच्चाई को स्वीकार कर भूपेश बघेल को धन्यवाद देना चाहिये कि उनके कारण भाजपा उनको पूछ तो रही है।
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