ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा के जेवर में बनने वाला नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट क्षेत्रफल के लिहाज से विश्व का चौथा और एशिया का दूसरा और देश का ...
ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा के जेवर में बनने वाला नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट क्षेत्रफल के लिहाज से विश्व का चौथा और एशिया का दूसरा और देश का सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा। एयरपोर्ट के अंतिम चरण के निर्माण के बाद यह रैंकिंग लागू होगी। फिलहाल करीब 13.34 वर्ग किमी क्षेत्र में ही इसका निर्माण हो रहा है। बाद में इसका क्षेत्रफल बढ़ाया जाएगा। आंकड़ों के मुताबिक सऊदी अरब का किंग फहद इंटरनेशनल एयरपोर्ट विश्व में सबसे बड़ा हवाई अड्डा है। यह 776 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला है। इसके बाद अमेरिका के दो एयरपोर्ट का नंबर आता है। जिनका क्षेत्रफल 137 और 70 वर्ग किमी है। जबकि चौथे स्थान पर जेवर का नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट होगा। पूरी तरह विकसित होने के बाद इसका क्षेत्रफल 58 वर्ग किमी होगा। अहम है कि पहले इसका क्षेत्रफल 50 वर्ग किमी था। लेकिन बाद में 800 हेक्टेयर क्षेत्रफल और बढ़ाने की बात कही गई थी। हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि अंतिम तौर पर नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का क्षेत्रफल 62 वर्ग किमी का हो सकता है।
एमआरओ सिस्टम से होगा देश को लाभ
जेवर में बनने वाले मेंटेनेंस, रिपेयरिंग और ओवरहॉलिंग (एमआरओ) सेंटर का लाभ देश को होगा। अधिकारियों के मुताबिक फिलहाल नागपुर में एमआरओ सेंटर है। जो काफी छोटा है। विमान कंपनियां हवाई जहाज के मेटेंनेंस के लिए कोलंबो और सिंगापुर के एमआरओ सेंटर की सेवाएं लेती हैं। अधिकारियों का कहना है कि बोइंग विमानों को सिएटल और एयर बस को पेरिस के एमआरओ सेंटर की सेवा लेनी होती है। जेवर में अत्याधुनिक एमआरओ सेंटर की सुविधा शुरू होने से विमान कंपनियों के साथ ही देश को काफी लाभ होगा। नजदीकी देशों के विमान भी इसका लाभ उठा सकेंगे।
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