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कांग्रेस ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति दिवस की 50वीं वर्षगांठ मनाया

राष्ट्रीय संयोजक प्रवीण डाबर ने सुनाई विजय गाथा 1971 के वीर सैनिकों वीर सेनानियों का सम्मान किया abernews रायपुर। बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के...


राष्ट्रीय संयोजक प्रवीण डाबर ने सुनाई विजय गाथा
1971 के वीर सैनिकों वीर सेनानियों का सम्मान किया

abernews रायपुर। बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने पर बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के वीर सैनिकों का आज प्रदेश कांग्रेस के द्वारा सम्मान किया गया। जो वीर सैनिक इस समय नहीं है उनके वीर नारियों तथा परिजनों का सम्मान किया गया। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम 50 वर्ष आयोजन समिति के संयोजक प्रवीण डाबर, ब्रिगेडियर प्रदीप यदु उपस्थिति थे। कार्यक्रम को प्रवीण डाबर, ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने संबोधित किया।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के 50वीं वर्षगांठ आयोजन समिति के संयोजक प्रवीण डाबर ने 1971 के युद्ध विस्तृत गाथा सुनाते हुये कहा कि 16 मार्च 1971 को इंदिरा गांधी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनी। यहां पर कांग्रेस कार्यकर्ता बैठे है। आपको यह पता होना चाहिये कि श्रीमती इंदिरा गांधी देश की चार बार प्रधानमंत्री बनी। पहली बार जब शास्त्री जी का देहांत हुआ, और एक साल के अंदर ही 1957 में आम चुनाव हुआ और प्रधानमंत्री दूसरी बार प्रधानमंत्री बनी और तीसरी बार मध्यवर्ती चुनाव कराया। 16 मार्च को तीसरी प्रधानमंत्री की शपथ ली। उनके प्रधानमंत्री बनते ही 11 दिन के अंदर हमारे पड़ोस में एक संकट उत्पन्न हुआ। 25 मार्च 1971 की रात को आर्मी ढाका युनिवर्सिटी के अंदर घुस गयी। वहां के जितने भी अध्यापक और विद्यार्थी थे उनके कत्लेआम कर दिया। ये ऐसा क्यों हुआ? इसका कारण था दिसंबर 1970 में पाकिस्तान में एक लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव हुआ। लेकिन 1958 में वहां सत्ता का हाथिया ले लिया। नौ साल तक सत्ता में रहे। उसी दौरान 1965 की लड़ाई हुयी और 1965 की लड़ाई में उससे पहले 1960 में एक भारत और पाकिस्तान की ट्रिपी हुयी। आज भी जितनी भी ट्रिपी हुई जवाहर लाल नेहरू के समय याद रखा जायेगा। कराची में ट्रिपी हुई जो तब जवाहरलाल नेहरू को सड़कों में लेकर लाखो-लाखों लोग पाकिस्तान के कराची में थे वो पं. जवाहर लाल नेहरू को देखने आये। अब आप अंदाजा लगा सकते है कि पं. जवाहर लाल नेहरू कितने लोकप्रिय नेता होते थे। पं. जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री नहीं एक फरिश्ता थे। ये मै नहीं बता रहा हूं  जो दूसरा राष्ट्रपति थे डॉ. राधाकृष्णन बता रहे है। उन्होंने पं. जवाहर लाल नेहरू के बयान के बाद कहा कि वे दूसरे महात्मा गांधी है। ये कोई प्रोपोगंडा नहीं है ये सत्य है। ये बड़ी शर्म की बात है कि भारतीय जनता पार्टी पं. जवाहर लाल नेहरू के नाम ही नहीं लेते है। अगर नाम भी लेती है तो उनको नीचा दिखाने की काम करती है। हमारे यहां जितने भी फौजी भाई बैठे है उनसे पूछो कि भारत की डिफेंस एजेंसी को किसने बनाया। दिल्ली में जो डिफेंस एजेंसी है उसको भी पं. जवाहर लाल नेहरू ने बनाया।
अयूब खान जब प्रेसिडेंट थे वहां की जनता उनसे उब चुकी थी। और उन पर दबाव डाला जाता था कि यहां की डेमोक्रेसी को बहाल किया जाये। अयूब खान ने अपने आदमी को बुलाया मैं अपनी गद्दी तुम को सौंप रहा हूं लेकिन शर्त यह है कि आपको एक साल के अंदर चुनाव कराना होगा। जैसे ही वो गद्दी में बैठे कि अब यहां चुनाव होंगे। लेकिन अप्रैल-मई का महीना रहा होगा। आम जनता का फैसला यह था कि शेख पाकिस्तान अगले प्रधानमंत्री होंगे। जब से पाकिस्तान बना है तो पश्चिम पाकिस्तान पंजाबी, सिंधी लोगों में ही राज हुआ। कुछ दिन बाद शेख को कैद कर दिया जाता हैं। पर शेख जाते हुये ये एलान कर देते है कि बांग्लादेश आज आजाद देश है। ये शेख 25 मार्च को डिक्लेयर कर देते है और कैद हो जाते है। जैसे हम 15 अगस्त मनाते है। पाकिस्तान 14 अगस्त मनाते है। बांग्लादेश का आजादी दिवस है जो 16 दिसंबर को लेकिन शेख ने 26 मार्च को ऐलान कर दिया था। तो बांग्लादेश का स्वतंत्रता दिवस 26 मार्च को मनाया जाता है।

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