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तेजी से पिघल रहा हिमालय का ग्लेशियर, सूख जाएंगी गंगा समेत भारत की ये बड़ी नदियां!

 नई दिल्ली। धरती के बढ़ते तापमान के बीच वैज्ञानिकों ने बड़ी चेतावनी दी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालय के तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर की ...


 नई दिल्ली। धरती के बढ़ते तापमान के बीच वैज्ञानिकों ने बड़ी चेतावनी दी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालय के तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर की वजह से भारत पर संकट आ सकता है। उनका कहना है कि हिमालय का ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है। यह बातें एक रिसर्च में कही गई हैं। रिसर्च के मुताबिक, ग्लेशियर के तेजी से पिघलने की वजह से एशिया में गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी के किनारे रहने वाले करोड़ों लोगों के सामने पानी का संकट पैदा हो जाएगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे ही तेजी से ग्लेशियर पिघलता रहा, तो इन नदियों के किनारे रह रहे भारत और पाकिस्तान के लोग पानी के लिए तरसेंगे। रिसर्च में चौकानें वाली जानकारी सामने आई है। बताया गया है कि साल 2000 से हिमालय का ग्लेशियर 10 गुना ज्यादा तेजी से पिघल रहा है। वैज्ञानिकों ने ग्लेशियर के तेजी से पिघलने से होने वाले दुष्परिणाों के बारे में बताया है। वैज्ञानिकों ने रिसर्च में बताया है कि आइस एज के समय से औसतन 10 गुना तेजी से ग्लेशियर पिघल रहा है। बड़े ग्लेशियर के विस्तार के समय को लिटिल आइस एज समय कहा जाता है जो 14वीं सदी की शुरुआत से 19वीं सदी के मध्य तक रहा। सबसे हैरान वाली बात यह है कि हिमालय के ग्लेशियर सबसे तेजी से पिघल रहे हैं। बाकी दुनिया के अन्य ग्लेशियरों की पिघलने की रफ्तार धीमी है। ग्लेशियर पिघलने की वजह से समुद्र के जलस्तर में भी वृद्धि हो रही है। अगर इसी तेजी से ग्लेशियर पिघलता रहा है, तो करोड़ों लोगों के सामने खाने और ऊर्जा का संकट पैदा हो सकता है। एशिया में गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी के किनारे रहने वाले लोग इस संकट का शिकार हो सकते हैं। तीसरा ध्रुव हिमालय के पहाड़ हैं। हिमालय का ग्लेशियर बर्फ का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है। अंटार्कटिका और आर्कटिक पहले और दूसरे बड़े स्त्रोत हैं। रिसर्च के लेखक का कहना है कि इस इलाके में रहने वाले हिमालय में हो रहे बदलाव को महसूस कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस रिसर्च से पता चला है कि हिमालय में बहुत तेजी से बदलाव हो रहा है जिसका कई देशों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। रिसर्च के लिए एक बार फिर हिमालय के ग्लेशियर का निर्माण किया। इस रिसर्च में पता चला कि 40 प्रतिशत ग्लेशियर खत्म हो गया है।

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