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लोक निर्माण विभाग में मनमानी ढंग से चहेतों को दिया जा रहा कार्य

चार करोड़ से अधिक के निर्माण कार्यों को चहेते ठेकेदारों के बीच बांटकर भ्रष्टाचार का मामला कोण्डागांव । जिले के लोक निर्माण विभाग संभाग कार्य...


चार करोड़ से अधिक के निर्माण कार्यों को चहेते ठेकेदारों के बीच बांटकर भ्रष्टाचार का मामला
कोण्डागांव । जिले के लोक निर्माण विभाग संभाग कार्यालय के बड़े बाबू एवं अधिकारियों की मिलीभगत से चार करोड़ से अधिक के निर्माण कार्यों को चहेते ठेकेदारों के बीच बांटकर भ्रष्टाचार करने की मंशा का मामला सामने आया है। विदित हो कि लोक निर्माण विभाग संभाग कोंडागांव अंतर्गत जारी निविदा क्रमांक 18/2021- 22 जिसके अंतर्गत कार्यालय के उपसंभाग 1, उपसंभाग 2 एवं उप संभाग केशकाल के अंतर्गत राज्य मार्ग एवं मुख्य जिला मार्गो एवं पुल पुलिया का वार्षिक संधारण कार्य किया जाना है। कार्य का लोक निर्माण विभाग कोंडागांव द्वारा तृतीय आमंत्रण जारी किया गया था। जिसमें निविदा प्रपत्र क्रय करने हेतु आवेदन प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 20 जनवरी 2022 निर्धारित थी। उक्त निविदा प्रपत्र क्रय करने हेतु कोंडागांव एवं अन्य जिलों के ठेकेदारों द्वारा काफी संख्या में आवेदन प्रस्तुत कर कार्यालय के बड़े बाबू  के पास निविदा प्रपत्र हेतु आवश्यक दस्तावेज एवं निविदा प्रपत्र की राशि अंतिम तिथि से पूर्व ही जमा किया जा चुका था। जिस पर बाबू द्वारा अंतिम तिथि पर एक साथ सभी को निविदा प्रपत्र प्रदान करने की बात कही गई थी, किंतु अधिकारी व बड़े बाबू द्वारा कुछ चुनिंदा व चहेते ठेकेदारों से सांठगांठ कर संभवत: मोटी रकम लेकर बाकी कई ठेकेदारों को बिना कारण बताए निविदा शुल्क जमा नहीं करते हुए निविदा प्रपत्र प्रदान नहीं किया गया। जिससे निविदा से वंचित ठेकेदारों में विभाग की इस कार्यप्रणाली से काफी रोष है।
वहीं निविदा शुल्क जमा ना होने से शासन को राजस्व का नुकसान हुआ है एवं मिलीभगत से संपन्न निविदा में निविदा दर अधिक होने से शासन को लाखों का राजस्व नुकसान होगा। बता दें की उक्त निविदा के कार्यों को विभाग द्वारा 2-2 करोड़ की लागत के ऑनलाइन निविदा आमंत्रण हेतु उच्च कार्यालय भेजा जा चुका था किंतु उसे वापस कर पुन: विभाग द्वारा उक्त कार्यों को 50-50 लाख की लागत का बनाकर मैनुअल पद्धति से निविदा आमंत्रित की गई व बिना कारण बताए निविदा तिथि को बढ़ा दिया गया। दूसरी बार पुन: 50-50 लाख की लागत के कार्यों का कर निविदा आमंत्रित करने के बाद फिर से उसकी तिथि को बढ़ाकर निविदा कार्यों को 25-25 लाख का बना कर निविदा आमंत्रण की अंतिम तिथि 20/01/2022 रखी गई थी। इस प्रकार अधिकारी व बड़े बाबू के कारण उक्त निर्माण कार्यों का कार्य, ना तो समय से कराया जा रहा है और ना ही निविदा प्रक्रिया को निष्पक्षता से संपादित किया जा रहा है। जबकि जिन निर्माण कार्यों की निविदा विभाग जनवरी अंत में जारी कर संपादित कर रहा है। यह वे वार्षिक मरम्मत कार्य हैं जिनका निर्माण मार्च माह में पूरा हो जाना चाहिए जबकि जारी निविदा में छह कार्य वार्षिक मरम्मत के हैं जिनकी लागत डेढ़ करोड़ की है। विशेष मरम्मत कार्य करने के पूर्व उनका विभाग प्राक्कलन तैयार करता है उसके बाद उच्च कार्यालय से अनुमति लेकर ही कार्य कराए जा सकते हैं।
सवाल उठता है की जिस निविदा को विभाग तीन- तीन बार तिथि बढ़ाकर निविदा संपन्न करने में महीनों लगा रहा है, ऐसे में उन विशेष मरम्मत कार्यों का प्राक्कलन तैयार कर उच्च कार्यालय से अनुमति लेकर निर्माण कार्य को वित्तीय वर्ष की समाप्ति अर्थात मार्च तक पूरा किया जाना असंभव लगता है। निष्पक्ष निविदा संपन्न ना करा कर अधिकारी व बाबू द्वारा चहेतों को करोड़ों के टेंडर मनमाने तरीके से बांटना, जिससे सरकार को लाखों का राजस्व नुकसान होगा एक संवेदनशील मामला है। अत: उक्त निविदा को निरस्त कर संपन्न निविदा की प्रक्रिया की जांच कर निविदा कार्यों को अगले वित्तीय वर्ष में लगाना लोकहित में होना जान पड़ता है।

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