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हैप्पी बर्थडे प्राण साहब: घर चलाने के लिए होटलों में किया काम, 350 फिल्में कर बने विलेन ऑफ द मिलेनियम

मुंबई। अपने दमदार अभिनय के बल पर लोगों के दिलों पर राज करने वाले और हिन्दी पिुल्म जगत के सुपर विलेन प्राण का आज जन्म दिवस है। बॉलीवुड इंडस्ट...


मुंबई। अपने दमदार अभिनय के बल पर लोगों के दिलों पर राज करने वाले और हिन्दी पिुल्म जगत के सुपर विलेन प्राण का आज जन्म दिवस है। बॉलीवुड इंडस्ट्री में प्राण साहब से मशहूर अभिनेता का पूरा नाम प्राण किशन सिकंद था। सन 1942 से अपने अभिनय करियर की शुरुआत करने वाले प्राण 350 से भी ज्यादा फिल्में कर चुके हैं। जिस देश में गंगा बहती है, उपकार, शहीद, पूरब और पश्चिम, राम और श्याम, जंजीर, डॉन और अमर अकबर एंथनी जैसी बेहतरीन फिल्मों में अपनी दमदार अदाकारी से दर्शकों के दिलों पर राज किया है। ज्यादातर फिल्मों में विलेन का किरदार निभाने वाले प्राण ने अपने रोल में इस कदर जान फूं की थी कि लोगों ने एक समय पर अपने बच्चे का नाम प्राण रखना तक छोड़ दिया था।
महज पांच साल में की थी  22 फिल्में
दिवंगत अभिनेता प्राण का जन्म आज ही के दिन सन 1920 को पुरानी दिल्ली के बल्लीमारान इलाके में बसे एक रईस परिवार में हुआ था। हिंदी सिनेमा जगत में कदम रखने से पहले अभिनेता साल 1940 में आई पंजाबी फिल्म 'यमला जटÓ में अपने अभिनय का जादू बिखेर चुके थे। 1942 में बॉलीवुड में डेब्यू करने के महज पांच सालों के अंदर यानी 1947 तक उन्होंने तकरीबन 22 फिल्मों में खलनायक का रोल निभा लिया था।
डेब्यू से पहले होटल में करते थे काम
बॉलीवुड में डेब्यू से पहले अपना घर चलाने के लिए मुंबई के मरीन ड्राइव स्थित एक होटल में काम किया करते थे। आठ महीनों तक उनका संघर्ष जारी रहा। फिर एक दिन पान की दुकान पर खड़े प्राण पर पंजाबी फिल्मों के लेखक मोहम्मद वली की नजर पड़ी। उन्होंने प्राण को देखते ही अपनी आगामी फिल्म यमला जट के लिए उन्हें चुन लिया। यहां से प्राण की किस्मत चमक गई। उन्हें एक के बाद एक फिल्में मिलने लगी। कहा जाता है कि फिल्म जंजीर के लिए प्राण ने ही अमिताभ बच्चन का नाम दिया था।
बंटवारे के बाद फिर शुरू किया सफर
1947 में हुए बंटवारे की वजह से फिल्म इंडस्ट्री काफी प्रभावित हुई थी। कई लोग बंटवारे के दौरान पाकिस्तान चले गए थे। ऐसे में प्राण ने दोबारा अपना फिल्मी सफर शुरू करने की ठानी और साल 1948 में देवानंद की फिल्म जिद्दी में काम किया। कहा जाता है कि लेखक सादत हसन मंटो ने उन्हें इस फिल्म के लिए रिकमंड किया था। बस इस फि ल्म के बाद अभिनेता प्राण ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्हें साल 2001 में पद्मभूषण और दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इसके अलावा फिल्म इंडस्ट्री और दर्शकों ने दिवंगत अभिनेता प्राण को विलेन ऑफ द मिलेनियम के टाइटल से नवाजा।

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