बालोद । जिले के ग्राम सनौद (गुंडरदेही) में ग्रामीणों की अजीबोगरीब आस्था देखने को मिलती है। जहां वे एक धार्मिक स्थल को बरदेवा देव के नाम से प...
बालोद । जिले के ग्राम सनौद (गुंडरदेही) में ग्रामीणों की अजीबोगरीब आस्था देखने को मिलती है। जहां वे एक धार्मिक स्थल को बरदेवा देव के नाम से पुकारते हैं। यह मान्यता है कि बरदेवा देव् भगवान शंकर के प्रतीक है। जिनकी आस्था में यहां के ग्रामीण शिवरात्रि मनाते हैं। जिसके तहत इस बार भी ग्रामीणों द्वारा कांवड़ यात्रा निकालकर अपनी आस्था व्यक्त की जाएगी। बरदेवा देव के प्रति मान्यता वर्षों से हैं कि उक्त देव ने ग्रामीणों को बाढ़ से बचाया था। गांव के बुजुर्ग भैयाराम ठाकुर का कहना है कि यह किवंदती है कि जब तांदुला नदी में एनीकट नहीं बना था तो गांव के करीब बाढ़ आया था। गांव बह जाता लेकिन बर देवा देव की कृपा से सब कुछ सलामत रहा और तब से कई पीढिय़ों से इस बरदेवा देव के प्रति लोगों में आस्था है और भगवान शिव शंकर के प्रतीक के रूप में इसकी पूजा की जाती है। 1 मार्च को महाशिवरात्रि के अवसर पर ग्राम सनौद में भव्य (कावडय़ात्रा) निकलेगी। आसपास के गांवों से लेकर दूर अंचल क्षेत्रों से व्यापक रूप में भक्तगण शामिल होंगे। यहां पर भगवान शिव के अवतार के रूप में भगवान बरदेवा देव है। जो गांव से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर खेत खलिहानों के बीच प्राकृतिक रूप से विराजमान है। यहां के लोगों की ऐसी मान्यता है कि जब गांव में तांदुला नदी में एनीकट डैम निर्मित नहीं हुआ था तब भगवान बरदेवा देव हमारे गांव को बाढ़ के संकट से बचाते रहे हैं। लोगों में यह भी आस्था है कि यदि किसी व्यक्ति का सामान चोरी हो गया हो या कीमती वस्तु गुम गया हो, तो भगवान बर देवादेव के शरण में जाकर सच्चे मन से स्मरण करने से वह समान वापस उन्हें प्राप्त हो जाता है। भगवान हर मानव के कष्ट को हर लेता है। भगवान बरदेवा देव की उपासना से सब भक्तजनो की मनोकामनाएं सिद्ध होती है।
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