नई दिल्ली। जल्दी ही आपको अपनी जेब और ढीली करनी पड़ेगी। दरअसल, जीएसटी काउंसिल अपनी अगली बैठक में सबसे निचले स्तर की जीएसटी स्लैब को में बदल...
नई दिल्ली। जल्दी ही आपको अपनी जेब और ढीली करनी पड़ेगी। दरअसल, जीएसटी काउंसिल अपनी अगली बैठक में सबसे निचले स्तर की जीएसटी स्लैब को में बदलाव कर सकती है। इस बैठक में सबसे निचली टैक्स दर को पांच फीसदी से बढ़ाए जाने की उम्मीद है, जिसके बाद यह टैक्स दर आठ फीसदी हो जाएगी। इसके साथ ही जीएसटी प्रणाली में छूट वाले उत्पादों की सूची में भी फेरबदल किया जा सकता है। इस कदम से राजस्व तो बढ़ेगा ही, क्षतिपूर्ति के लिए केंद्र पर राज्यों की निर्भरता भी खत्म हो सकेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्यों के वित्तमंत्रियों की एक समिति जीएसटी परिषद को इस महीने के आखिरी तक अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है। इस रिपोर्ट में सबसे निचले जीएसटी स्लैब को बढ़ाने और स्लैब को तर्कसंगत बनाने जैसे कई कदमों के सुझाव दिए जा सकते हैं। गौरतलब है कि वर्तमान में जीएसटी में चार स्लैब हैं, जिसमें टैक्स की दर 5 फीसदी, 12, 18 और 28 फीसदी है। जरूरी वस्तुओं को या तो इस टैक्स से छूट दी गई है या फिर उन वस्तुओं को सबसे निचले स्लैब में रखा गया है, जबकि लग्जरी वस्तुओं को सबसे ऊपरी कर स्लैब में रखा गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर सबसे निचली टैक्स दर को पांच फीसदी से बढ़ाकर आठ फीसदी कर दिया जाएगा तो सालाना डेढ़ लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है। इस स्लैब में पैकेटों में बंद खाद्य पदार्थ आते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्यों के वित्तमंत्री जीएसटी काउंसिल को तीन स्तरीय टैक्स स्लैब बनाने का सुझाव भी दे सकते हैं। उनका कहना है कि इससे टैक्स प्रणाली तर्कसंगत हो सकेगी। अगर आगामी बैठक में ये प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो 12 फीसदी के दायरे में आने वाली सभी वस्तुएं और सेवाएं 18 फीसदी के स्लैब में आ जाएंगी।
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