नई दिल्ली। वो दौर गए, जब महिलाओं को कमजोर कहा जाता था। आज की महिलाएं भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक तौर पर काफी मजबूत हो चुकी हैं। वह केवल पर...
नई दिल्ली। वो दौर गए, जब महिलाओं को कमजोर कहा जाता था। आज की महिलाएं भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक तौर पर काफी मजबूत हो चुकी हैं। वह केवल परिवार की देखभाल करने वाली मां, पत्नी या बहु नहीं रहीं बल्कि देश और समाज की रक्षक बन गई हैं। भारतीय सेना में शामिल होकर देश की रक्षा के लिए युद्ध करने को भी तैयार रहती हैं। लेकिन आज की महिलाओं में ये जोश भरने, उनके लिए घर की चारदीवारी से निकल सीमा सुरक्षा के लिए वर्दी पहनने का रास्ता साफ करने में कुछ महिलाओं का ही बड़ा योगदान है। देश की सेना में आज कई महिलाएं शामिल हैं। कई महिलाएं भारतीय वायुसेना के दमदार लड़ाकु विमान उड़ाने तक की जिम्मेदारी निभा रही हैं। कई महिलाएं नौसेना की वर्दी में भारत का गौरव बन गई है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर भारत की उन साहसी महिलाओं के बारे में जान लीजिए, जिन्होंने देश की सेना में शामिल होकर न केवल देश की मान बढ़ाया, बल्कि हर एक लड़की के लिए आदर्श बन गईं।
पुनीता अरोड़ा- पहली महिला लेफ्टिनेंट जनरल
आज भले ही भारतीय सेना में कई महिला अधिकारी हों लेकिन भारतीय नौसेना की पहली महिला लेफ्टिनेंट जनरल पुनीता अरोड़ा थीं। उनका जन्म 13 अक्तूबर 1932 को पाकिस्तान के लाहौर प्रांत में हुआ था। साल 2004 में भारतीय नौसेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला होने की उपलब्धि पुनीता अरोड़ा था। उन्होंने 36 साल नौसेना में सेवा दी और इस दौरान कुल 15 पदक प्राप्त किए।
किरण शेखावत -पहली महिला शहीद
भारतीय सेना की महिलाओं का जिक्र होगा तो 1 मई 1988 को राजस्थान के सेफरागुवार में जन्मी किरण शेखावत का नाम जरूर लिया जाता रहेगा। शादी के बाद हरियाणा की बहू लेफ्टिनेंट किरण शेखावत देश के लिए ऑन ड्यूटी शहीद होने वाली पहली महिला अधिकारी थीं। गोवा में साल 2015 को 24 मार्च की रात डॉर्नियर निगरानी विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में लेफ्टिनेंट किरण शेखावत शहीद हो गई थीं। उनकी साल 2010 में भारतीय नौसेना में भर्ती हुई थी और सेना में पांच साल की सेवा के बाद वह शहीद हो गईं।
पद्मावती बंदोपाध्याय- पहली महिला एयर मार्शल
भारतीय वायुसेना की पहली महिला एयर मार्शल होने का गौरव पद्मावती बंधोपाध्याय को मिला। पद्मावती 1968 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुईं। 34 साल कार्यरत रहने के बाद उन्हें साल 2002 में एयर वाइस मार्शल के पद पर तैनाती हुई।
दिव्या अजित कुमार- स्वॉर्ड ऑफ ऑनर प्राप्त पहली महिला कैडेट
मात्र 21 साल की उम्र में सेना की स्वॉर्ड ऑफ ऑनर हासिल करने वाली पहली महिला कैडेट का नाम दिव्या अजित कुमार है। कप्तान दिव्या अजित कुमार को सितंबर 2010 में सेना के वायु रक्षा कोर में नियुक्त किया गया था।
गुंजन सक्सेना- कारगिल गर्ल
कारगिल गर्ल के नाम से मशहूर फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों के छक्के छुड़ाए थे। गुंजन सक्सेना पहली महिला पायलट थीं, जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान लड़ाई में भारत की तरफ से पाकिस्तान को टक्कर दी थी। उन्हें शौर्य वीर अवॉर्ड भी दिया गया था।
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