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जिसने कभी न मानी हार, बनाया ज्ञान को जींवन का आधार शिक्षक दिवस विशेष शिक्षक मुकेश कश्यप के संघर्ष की कहानी

अबेरन्यूज़ कुरुद।  कहते है कि शिक्षक यानी ज्ञान का अथाह सागर वर्तमान समय मे शिक्षक की असली परिभाषा और उसके महत्व को जानने के लिये हम चाहे कित...


अबेरन्यूज़ कुरुद।  कहते है कि शिक्षक यानी ज्ञान का अथाह सागर वर्तमान समय मे शिक्षक की असली परिभाषा और उसके महत्व को जानने के लिये हम चाहे कितनी भी बातें कर ले,यह तब और ज्यादा अच्छे से पता चलता है जब हम इसकी प्रतिमूर्ति को साक्षात देखते है।वैसे तो हमारे कुरुद नगर में प्रतिभावान और समर्पित शिक्षकों की कमी नही है,इनमें एक ऐसा भी शिक्षक है जिसके लिये समय ,स्कूल और आमदनी का कोई महत्व नही रहा।यह जहां भी गया सेवा भाव और समर्पण को अपना मित्र बना लिया। 
         जी हां हम बात कर रहे है कुरुद के उस युवा ,मिलनसार ,सरल स्वभाव और कर्तव्यपरायणता के धनी शिक्षक और जनसेवक मुकेश कुमार कश्यप की।बचपन से ही रचनात्मक कार्यो में जुड़े रहना और कर्म के प्रति ललक के साथ आगे बढ़ते रहना इनका जुनून रहा है। नगर के गरीब परिवार से आने वाले मुकेश ने बालपन से ही शिक्षक बनने का सपना बना लिया था और इसे साकार करने के लिये उन्होंने 12वी की पढ़ाई पूरी करते ही शुरू कर दी।प्रारंभिक दौर में उन्होंने निम्न वेतन पर छोटे बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और अपने स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई भी स्वाध्यायी रूप से जारी रखी।एक ओर उन्होंने जंहा लगातार 15 वर्ष तक समर्पित रूप से नगर की निजी संस्था किरण पब्लिक स्कूल कुरुद में जारी रखी ,वहीं उन्होंने खुद लगातार पढाई करते हुए चार विषयो में पण्डित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और बीएड एवं सीवी रमन विश्वविद्यालय से पीजीडीसीए की उपाधि हासिल कर अपने समाज मे सबसे ज्यादा शिक्षित होने का गौरव हासिल किया। वे केवल शिक्षक के रूप में पढ़ाने के लिये ही नही जाने गए बल्कि विद्यालय की रचनात्मकता गतिविधियों जैसे सांस्कृतिक ,खेल ,मीडिया और अन्य कलात्मक कार्यो में भी सहभागिता प्रदान की।वे नगर की धार्मिक ,सामाजिक ,राजनीतिक और अन्य सेवाभावी संगठनो से जुड़कर निस्वार्थ रूप से सबके लिये काम करते रहे है।उनका जुड़ाव अन्य स्कूल के शिक्षकों और विद्यार्थियों से भी रहा जहां उन्होंने इन वर्षों में अपने सहयोग भाव ,कार्यक्षमता और दरियादिली से प्रभावित किया।इस दौरान उनमें अपने स्कूल के विद्याथियों को समय-समय पर नए ढंग से नई चीजों से जोड़ना ,नवाचार और रचनात्मकता को सिखाना इनका जुनून रहा। पालक वर्ग भी इनके कार्यक्षमता के कायल रहे तो वहीं शिक्षक और छात्रों का इन्होने दिल भी जीत लिया।
         पढाई के साथ-साथ लगभग हर क्षेत्र में उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।इसकी बानगी लोगो की जुबानी देख सकते है।फील्ड पर काम करने के साथ-साथ उन्होंने सोशल मीडिया में अपनी एक खास पहचान बनाई है।पत्रकारिता,प्रचार आडियो कला, ऑनलाइन क्लास , पढाई से सम्बंधित आवश्यक विषय वस्तु ,परीक्षा से सम्बंधित जानकारी और शिक्षा विभाग से जुड़ी हर खबर घर बैठे दे रहे है । इसी तरह जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर जनहित कार्यों में भी अपनी उपलब्धता दिखाई।ज्ञान बांटना और लोगो को जनहित की खबर से जोड़े रखना इन्होंने अपना एक जुनून बना दिया।
         बात करें उनके सम्मान की तो समय-समय पर उन्हें हर संगठन व वर्गों ने सम्मान दिया है।क़ई बार उन्हें कोरोना वारियर्स का सम्मान मिलना ,छात्रो द्वारा लगातार इनके टीचिंग की तारीफ और जनप्रतिनिधियों द्वारा इनके जनसेवा की तारीफ होना,समय-समय पर विभिन्न संगठनों द्वारा इन्हें सम्मान मिलना इनके लिये किसी उपलब्धि से कम नही है।इन्हें पहले ही समाज द्वारा सेवाभाव के लिये सम्मान मिलता रहा है।वे एक टीचर ही नही बल्कि अपने मीडिया रिपोटिंग ,जनजुड़ाव ,रचनात्मक कार्यशैली और मिलनसार रूपी प्रेममय व्यवहार के मिश्रण है।
         अपने सन्देश में मुकेश कश्यप ने कहा कि मेरा मुख्य उद्देश्य छात्र और जनहित पर काम करना है।अगर मेरे द्वारा किये गए कार्य से किसी का भला होता है तो यह मेरी खुदक़िस्मती होगी।मैंने हमेशा से ही विद्याथी वर्ग को नित नया रचनात्मक कार्य सीखने की ललक प्रदान की है।मेरे द्वारा पढ़ाये गए छात्र आज ऊँचे मुकाम तक पहुंच चुके है,जो मेरे लिये गौरव का विषय है।मैं भी अपने विद्याथी जींवन में अपने गुरुजनों के प्रति समर्पित रहा,आज उनके सम्मान का पर्व है।मेरे लिये सबसे पहला गुरु मेरी माता ,फिर मेरे पिता और जिन्होंने मुझे विद्यालय में ज्ञान का पाठ पढ़ाया ये सब जींवन भर पूज्य तुल्य रहेंगे।इनके मार्गदर्शन से ही मैं आज लोगो के काम आ रहा हु।शिक्षक दिवस गुरु के सम्मान का पर्व है,गुरु का हमारे जीवन मे विशेष महत्व है,यह हमें जीवन मे सदैव संघर्ष करने और जीतने का पाठ पढ़ाते है।शिक्षक की वास्तविक परिभाषा उसके तीनो अक्षरों से ही प्रतिपादित होती है।जिसमे प्रथम अक्षर "शि" का तात्पर्य है शिक्षादायक ,द्वितीय अक्षर "क्ष" का तात्पर्य क्षमादायक और अंतिम अक्षर "क" का तात्पर्य है कर्तव्यमयी।अर्थात शिक्षक वह व्यक्ति होता है जो शिक्षा का दान करता है,विद्याथियों की भूलों को  छमा करता है और खुद कर्तव्यमयी रहकर सबको प्रेरणा देता है।मुकेश जी ने सभी लोगो को शिक्षक दिवस की बधाई देते हुए हमेशा सीखते रहने और लगातार अपने कर्मपथ पर आगे बढ़ते रहने का सन्देश दिया है।साथ ही अपने कायों में मजबूती लाकर जनहित में जुड़ने का सन्देश भी दिया है।

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