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राहुल गाँधी से सावरकर का शर्मनाक सच सुनकर भाजपा तिलमिला गयी : सुशील आनंद शुक्ला

रायपुर। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने राहुल गाँधी के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने इतिहास में ...


रायपुर। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने राहुल गाँधी के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने इतिहास में दर्ज सावरकर की कायरता का उद्धृत किया है। उनकी कही गई हर बात का प्रमाण इतिहास के पन्नों में दर्ज है। सावरकर ने अंग्रेजी शासन को दया याचिकाओं में कई ऐसी शर्मनाक बातें लिखी हैं जिससे यह प्रमाणित होता है कि सावरकर कायर होने के अलावा देशद्रोही और अंग्रेजों के प्यादे भी थे। याचिकाओं में सावरकर ने रिहा होने के बाद अंग्रेजों के लिए काम करने का वादा किया था और सबसे शर्मनाक बात तो यह है कि सावरकर ने खुद को अंग्रेजों का विलक्षण पुत्र तक बता दिया था। अंग्रेजों के मुखबिर के रूप में बदनाम भाजपा और संघ के पास एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसे सामने रखकर स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान साबित किया जा सके इसलिए सावरकर को प्रचारित कर महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के कद के बराबर खड़ा करने का प्रयास किया जाता है। सावरकर अपनी रिहाई के बदले अंग्रेजों के इशारे पर कुछ भी करने को तैयार थे और रिहा होने के बाद जो कुछ अपनी दया याचिकाओं में लिखा था शब्दशः वैसा ही किया। सावरकर को 50 साल कालापानी की सजा हुई थी मगर उनके माफीनामा के आधार पर उन्हें अंग्रेजी सरकार के लिये उपयोगी समझते हुए केवल 10 साल में ही रिहा कर दिया गया।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रिहा होने के बाद सावरकर ने अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन की नीतियों का समर्थन किया और भारत के स्वतंत्रता संग्राम से खुद को दूर रखा। जिस व्यक्ति को भाजपा आदर्श मानती है वह व्यक्ति अंग्रेजों से 60 रू. पेंशन लेते थे। 1937 में रिहा होने से लेकर 1966 में अपनी मृत्यु तक सावरकर ने ऐसा कुछ भी नहीं किया जिसे राष्ट्रसेवा कहा जा सके, इसके उलट आजादी की लड़ाई को कमजोर करने के लिए उन्होंने पूरा जीवन राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के खिलाफ माहौल बनाने में बिताया और गांधी की हत्या की साजिश में भी संदेही रहे।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को विभाजन का दोषी बताती है जबकि देश के विभाजन का षड्यंत्र सावरकर और जिन्ना ने मिल कर रची थी। सावरकर ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिंद सेना में लोगों को शामिल होने से मना किया और अंग्रेजों की सेना में शामिल होने का आह्वान किया। सावरकर ने अंग्रेजों के इशारों पर भारतीय समाज में फूट डालने और नफरत फैलाने का काम किया। भाजपा एक ऐसे व्यक्ति को महानायक बनाना चाह रही है जिसके कायरता और कुकर्म के प्रमाणों से इतिहास भरा हुआ है। सावरकर जैसे व्यक्ति को आदर्श मानने वाले लोग किसी भी अर्थ में देशभक्त नहीं हो सकते।



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