वर्तमान मे बढते हुये अपराधिक घटनाओं ने थानों मे मुसाफिरी दर्ज करने के महत्व को बढाया देवरी से पकडाये गये अंतराज्यीय गिरोह के ठगी के आरोपीयो...
देवरी से पकडाये गये अंतराज्यीय गिरोह के ठगी के आरोपीयो का नही था थाने मे मुसाफिरी दर्ज
सत्यनारायण पटेल ...
भाटापारा । किसी भी राज्य में जब कोई शहर बढ़ता है तो वहां आने-जाने वालों की संख्या भी बढ़ती है ၊ खासकर काम की तलाश में दूसरे राज्यों के लोग उस शहर की तरफ आते हैं ၊ पहले के समय में पुलिस दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों और व्यवसाय करने वाली की डिटेल थाने में मुसाफिरी के तौर पर दर्ज करती थी ၊ मुसाफिरी दर्ज करने से उस शहर में अपराध कंट्रोल में रहता था. लेकिन अब मुसाफिरी दर्ज करने को लेकर पुलिस का रवैया उदासीन है ၊
वर्तमान मे लगातार हो रही घटना के साक्ष्य ने मुसाफिरी दर्ज के महत्त्व को बढाया :
कुछ दिन पहले पुलिस ने अंतराज्यीय राज्य के संगठित गिरोह के कुल 7 आरोपियों को ठगी के मामले मे धर दबोचा जो कि भाटापारा से 5 किलोमीटर दूर ग्राम देवरी मे किराये के मकान मे रहते थे साथ ही इस गिरोह द्वारा मध्यप्रदेश ,महाराष्ट्र, एवं उत्तर प्रदेश राज्य मे भी अपराधिक घटना को अंजाम दिये जाने कि बात खुलकर आया था जो कि ऐसे अपराधिक तत्वो पर निगाह व नियंत्रण कसे जाने हेतु पुलिस प्रशासन द्वारा बनाये मुसाफिरी दर्ज कराये जाने के अनिवार्यता को बल देता है वही अगर
बात यदि भाटापारा क्षेत्र के अंतर्गत पुलिस थानों में मुसाफिरी दर्ज करना सिर्फ खानापूर्ति बनकर रह गया है. जिसके कारण अब शहर में दूसरे राज्यों से आकर अपराध करने वाले अपराधियों की संख्या बढ़ गई है.आखिर पुलिस की मुसाफिरी दर्ज करने में दिलचस्पी क्यों नही दिखाता ၊
मुसाफिरी दर्ज और इसके फायदे :
भाटापारा के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों मे विगत कुछ दिनो से चोरी और उठाईगिरी की घटनाएं बढ़ी है , गौरतलब है कि बाहरी प्रांत के अपराधिक तत्व आकर यहाँ अपने अपराधिक छवि को अंजाम देने से रोकने हेतु आज से कुछ साल पहले . पुलिस ने नियम बनाया था कि दीगर प्रांत से आकर शहर के आसपास रहने और व्यवसाय करने वालों की जानकारी संबंधित थाने में दर्ज होनी चाहिए. जिसे मुसाफिरी दर्ज करना कहा जाता है. इस नियम का सबसे बड़ा फायदा ये था कि यदि कोई चोरी,लूट या डकैती करके राज्य से बाहर भागता था तो उसकी जानकारी पहले से ही पुलिस के पास होती थी. जिससे उसे पकड़ने और माल बरामद करने में आसानी होती थी. लेकिन अब थानों में मुसाफिरी दर्ज करने में पुलिस दिलचस्पी नहीं लेती. जिसके कारण कई बार सीसीटीवी फुटेज होने के बाद भी आरोपी नहीं पकड़े जाते ၊
किरायदारों की भी जानकारी पुलिस के पास :
गौरतलब है कि दीगर राज्यों और दीगर जिलों से आकर शहर में रहकर व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए पुलिस में नियम था. सभी को अपनी सरकारी पहचान और शासकीय पते के साथ फोटो संबंधित थाना क्षेत्र में जमा कराना होता था. मामले में मकान मालिक भी अपने किरायेदार की मुसाफिरी दर्ज कराने की जिम्मेदारी निभानी चहिये मुसाफिरी दर्ज कराना मकान मलिक को इस कारण भी जरूरी है कि यदि उनके किरायेदार ने अपराध किया है तो पुलिस उस आरोपी तक पहुचेगा ऐसे मामलों मे मकान मलिक को कोई परेशानी नही होगी .क्योंकि कई बार देखा गया है कि अपराधी किराये के मकान मे रहते है और फिर वारदात के बाद भाग जाते है जिसके बाद पुलिस का सामना मकान मलिक को ही करना पडता है
मुसाफिरी रिकॉर्ड मे होती है आसानी :
मुसाफिरी दर्ज कराने का सबसे बडा फायदा यह होता है कि सम्बंधित थाने के पास मुससफिर की पूरी कुंडली पहले से होता है यदि मुसाफिर ने अपने राज्य मे कभी अपराध किया है तो पुलिस को पता हो जाता है कि सामने वाले व्यक्ति का नेचर कैसा जिससे क्षेत्र मे कभी भी अपराध होता है तो पुलिस सबंधित अपराध और शहर मे रहने वाले मुसाफिर से पूछताछ करती है၊
शहर थाना प्रभारी अरुण साव
बहुत से लोग मुसाफिरी दर्ज कराते है खासकर सडक किनारे घुमंतु रुप से समान बेचने वाले लोग मुसाफिरी दर्ज कराने आते है वही मुसाफिरी दर्ज नही कराने पर समझाईश देकर प्रतिबंधात्मक कारवाई किया जाता है
ग्रामीण थाना प्रभारी विनोद मंडावी
मुसाफिरी दर्ज कराये जाने हेतु गाँव गाँव मे सूचना दिया जाता है जिसके लिये कोटवार के माध्यम से फार्म भी भराया जाता है, वही मुसाफिरी नही दर्ज कराने वालों पर फिर हाल कारवाई नही हुआ डगी के मामले देवरी मे पकडे गये 7 लोगों का कोई मुसाफिरी दर्ज नही था ၊
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