बीजिंग तेहरान। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी तीन दिनों के चीन के दौरे पर हैं और मंगलवार को उन्होंने चीन के अपने समकक्ष शी जिनपिंग से म...
बीजिंग तेहरान। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी तीन दिनों के चीन के दौरे पर हैं और मंगलवार को उन्होंने चीन के अपने समकक्ष शी जिनपिंग से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों के बीच अगले 25 वर्षों की साझेदारी को लेकर चर्चा हुई। इस मीटिंग के अजेंडे से ज्यादा अहमियत इस मुलाकात का होना ही है। इसकी वजह य़ह है कि बीते कुछ सालों में तेजी से वैश्विक हालात बदले हैं। चीन और अमेरिका आमने-सामने खड़े हैं। इसके अलावा भारत एशिया में शक्ति संतुलन की स्थिति में है और अमेरिका उसका करीबी दोस्त रहा है। वहीं चीन और पाकिस्तान की दोस्ती की काट भारत हमेशा ईरान के जरिए निकालता रहा है, लेकिन उसके अमेरिका के साथ खराब संबंध रहे हैं। यही नहीं चीन ने जब पाकिस्तान के ग्वादर में पोर्ट बनाया तो भारत ने ईरान के चाबहार में नया बंदरगाह बनाकर उसकी काट करने की कोशिश की थी। साफ है कि चीन और पाकिस्तान की दोस्ती के मुकाबले भारत और ईरान की साझेदारी रही है। अब जब ईरान के राष्ट्रपति ने चीन का दौरा किया है और दोनों मिलकर अमेरिका के मुकाबले एक गठबंधन बनाने की कोशिश में हैं तो वह भारत के खिलाफ भी जा सकता है। भले ही ईरान सीधे तौर पर भारत के खिलाफ नहीं है, लेकिन उसका अमेरिका के मुकाबले के चीन के साथ जाना स्वाभाविक तौर पर भारत के लिए चिंताएं बढ़ाने वाला हो सकता है।
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