नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से 2002 के गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोद...
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से 2002 के गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पर रोक लगाने के अपने 20 जनवरी 2023 के फैसले से संबंधित दस्तावेजों की मूल प्रति पेश करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने वरिष्ठ पत्रकार एन. राम, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा और वकील प्रशांत भूषण की एक संयुक्त याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया। शीर्ष अदालत ने अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा द्वारा दायर याचिका भी अलग से नोटिस जारी किया। शीर्ष अदालत ने तीन सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा और दो सप्ताह में प्रत्युत्तर दाखिल करने का नोटिस केंद्र सरकार को जारी करते हुए कहा कि यह अदालत इस मामले की अगली सुनवाई अप्रैल में करेगी। पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोई अंतरिम आदेश को पारित करने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह ने पीठ के समक्ष कहा कि केंद्र द्वारा जारी 'गुप्त' आदेशों के आधार पर विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। इस दलील के बावजूद पीठ ने कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया। इस संयुक्त याचिका में केंद्र सरकार से उसके आदेश का खुलासा करने की मांग की गई है, जिसमें अपनी आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल कर डॉक्यूमेंट्री पर रोक लगाई गई थी। पीठ ने कहा कि वह इस समय कोई अंतरिम आदेश पारित करने पर विचार नहीं कर रही है, क्योंकि सिंह ने दावा किया कि लोगों पर ‘गुप्त’ आदेश के आधार पर कार्रवाई की गई। अधिवक्ता श्री शर्मा ने बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री पर केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने को दुर्भाग्यपूर्ण, मनमाना और असंवैधानिक बताते हुए शीर्ष अदालत के समक्ष एक याचिका दायर की थी। श्री शर्मा ने अपनी याचिका में डॉक्यूमेंट्री के भारत में दिखाए जाने पर प्रतिबंध हटाने की मांग करते हुए कहा है कि इससे गुजरात के 2002 के दंगों के आरोपियों को दोषी ठहराया जा सकेगा। याचिका में डॉक्यूमेंट्री के दोनों हिस्सों की जांच करने की गुहार लगाते हुए कहा गया है कि केंद्र सरकार अतीत में हुई कुछ गलतियों को छिपाने की कोशिश न करे। सर्वश्री राम और भूषण ने डॉक्यूमेंट्री के क्लिप और ट्वीट को ब्लॉक करने के लिए आपातकालीन शक्तियों के उपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे चुनौती दी है।
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