नई दिल्ली। भारत में एच3एन2 वायरस के बढ़ते खतरे के बीच केंद्र सरकार एक्शन में आ गई है। शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने सभी र...
नई दिल्ली। भारत में एच3एन2 वायरस के बढ़ते खतरे के बीच केंद्र सरकार एक्शन में आ गई है। शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव (स्वास्थ्य) को चिट्ठी लिखकर इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारियों से प्रति अलर्ट रहने को कहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में हर साल दो बार मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामले सामने आने आते हैं। इसका पहला दौर जनवरी से मार्च तक और दूसरा मानसून के बाद के मौसम। मौसमी इन्फ्लूएंजा से उत्पन्न होने वाले मामलों में मार्च के अंत से गिरावट आने की उम्मीद है। मौसमी इन्फ्लूएंजा एक श्वसन संक्रमण है, जो इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है। यह एक वैश्विक बीमारी है जो कई देशों में सामने आ चुकी है। कुछ महीनों के दौरान इसके मरीजों में तेज वृद्धि देखी जाती है। इन्फ्लूएंजा वायरस चार प्रकार के होते हैं: ए, बी, सी, और डी। इन्फ्लूएंजा ए और बी वायरस भारत में लगभग हर साल जनवरी से मार्च और मानसून के बाद के मौसम में लोगों में बीमारी की मौसमी महामारी का कारण बनते हैं। भारत में अब तक इसके कारण दो मरीजों की मौत हुई है। हरियाणा और कर्नाटक में ये मामले सामने आने के बाद अलर्ट है। मौसमी इन्फ्लूएंजा छोटे बच्चे और बुजुर्गों को निशाना बनाता है। मंत्रालय के अनुसार, इस बीमारी के इलाज में ओसेल्टामिविर दवा ली जाती है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी अनुशंसित किया है। यह दवा भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के माध्यम से मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती है। इन्फ्लुएंजा वायरस को आमतौर पर कम खतरनाक माना जाता है, लेकिन इस साल संक्रमण से पीड़ित रोगी लंबे समय तक खांसी, लगातार बुखार और अन्य जटिलताओं की शिकायत हो रहे हैं। अस्पतालों में मरीज बढ़ रहे हैं। विभिन्न राज्यों ने अपने यहां स्वास्थ्य सुविधाओं पर जोर देना शुरू कर दिया है।
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