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चित्‍तौड़गढ़ में प्रशासन, पुलिस के साथ की गई छापामार कार्रवाई ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ ने ईंटभट्टे से छुड़वाए 36 बंधुआ बाल मजदूर

abernews। नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी द्वारा स्‍थापित ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ और उसके सहयोगी संगठन श्री आसरा विकास संस्‍थ...


abernews। नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी द्वारा स्‍थापित ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ और उसके सहयोगी संगठन श्री आसरा विकास संस्‍थान ने चित्‍तौड़गढ़ के भूपाल सागर थाना इलाके के तीन ईंटभट्टे पर छापामार कार्रवाई करते हुए 36 बंधुआ बाल श्रमिकों को मुक्‍त करवाया है। चित्‍तौड़गढ़ जिला पुलिस, जिला प्रशासन, लेबर डिपार्टमेंट और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की मदद से यह कार्रवाई की गई। आजाद करवाए गए बच्‍चों में 13 लड़कियां और 23 लड़के हैं। इन सभी की उम्र चार से 16 साल है। यह छापामार कार्रवाई एडीशनल एसपी शहाना खानम की देखरेख में, जिला एसपी आईपीएस राजन दुष्‍यंत के नेतृत्‍व में की गई।   
सभी छुड़ाए गए 36 बच्‍चे पढ़ाई छोड़कर बालश्रम में लगे हुए थे। मुक्‍त हुए ज्‍यादातर बच्‍चे उत्‍तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के हैं जबकि कुछ झारखंड व राजस्‍थान के हैं। इन बच्‍चों ने बताया कि उनसे रात में दो बजे से मजदूरी करवाई जाती थी और दो शिफ्टों में काम करवाया जाता था। मजदूरी के नाम पर इन बच्‍चों को प्रति ईंट 50 पैसा दिया जाता था। 
पुलिस पूछताछ में पता चला कि उत्‍तर प्रदेश का ही रहने वाला राजा भइया नाम का ठेकेदार ही इन लोगों को यहां लाया था। पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया है जबकि तीनों ईंटभट्टे के मालिक कालू की तलाश जारी है। ईंटभट्टे के मालिक ने यहां पर एक पति-पत्‍नी और उसके दो बच्‍चों को बंधुआ मजदूर भी बना रखा था। मालिक द्वारा पति को किसी दूसरे भट्टे पर भेजा जाना था, जिसका विरोध करने पर उसकी बुरी तरह से पिटाई की गई। इसके बाद उसकी पत्‍नी ने किसी तरह से श्री आसरा विकास संस्‍थान से संपर्क किया। फिर श्री आसरा विकास संस्‍थान ने ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के कार्यकर्ताओं को इसकी जानकारी दी गई। ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ ने राजस्‍थान पुलिस मुख्‍यालय में इस संबंध में लिखित शिकायत की, जिसके बाद मुख्‍यालय से कार्रवाई का आदेश जारी किया गया। सुबह पांच बजे से शुरू हुई कार्रवाई को पूरी तरह से गुप्‍त रखा गया। यह करीब तीन घंटे तक चली, जिसके बाद बच्‍चों को मुक्‍त करवाया जा सका और घटनास्‍थल से 60 किमी दूर चित्‍तौड़गढ़ लाया गया और वहां आजाद करवाए गए सभी बच्‍चों को चाइल्‍ड वेलफेयर कमेटी के सामने प्रस्‍तुत किया गया। 
ईंटभट्टों पर काम करने वाले बाल श्रमिकों व बंधुआ परिवारों की स्थिति पर चिंता जताते हुए ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के निदेशक मनीष शर्मा ने कहा, ‘यह बहुत ही चिंताजनक व भयावह है कि आज भी इस तरह से बच्‍चों व उनके माता-पिता को बंधक बनाकर श्रम करवाया जा रहा है। ट्रैफिकर्स अच्‍छे काम और पैसे का लालच देकर दूसरे राज्‍यों से लोगों को लाते हैं और फिर उन्‍हें बंधुआ बनाकर मजदूरी करवाते हैं। यह बहुत ही अमानवीय है। सरकार को चाहिए कि वह बच्‍चों का बचपन सुरक्षित बनाने के लिए पुलिस व जांच एजेंसियों को और भी ज्‍यादा सक्रिय व सशक्‍त करे, ताकि बच्‍चों को एक खुशहाल व उज्‍जवल भविष्‍य दिया जा सके।’ उन्‍होंने प्रशासन व पुलिस को धन्‍यवाद देते हुए कहा कि ये बच्‍चे तो मुक्‍त हो गए, लेकिन अन्‍य स्‍थानों पर भी जांच की जानी चाहिए कि कहीं बाल बंधुआ मजदूरी तो नहीं करवाई जा रही है? बचपन बचाओ आंदोलन, हर जगह प्रशासन व पुलिस के साथ सहयोग करता रहेगा। साथ ही मनीष शर्मा ने कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि चाइल्‍ड ट्रैफिकिंग पर रोक लगाने के लिए वह जल्‍द से जल्‍द एंटी ट्रैफिकिंग बिल को संसद में पास करवाए।

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