रायपुर। 4 अप्रैल को बिलासपुर से रायपुर पहुंचने वाली हसदेव एक्सप्रेस को दूसरी ट्रेनों को पासिंग देने के नाम पर जगह-जगह रोके जाने की व्यथा को...
रायपुर। 4 अप्रैल को बिलासपुर से रायपुर पहुंचने वाली हसदेव एक्सप्रेस को दूसरी ट्रेनों को पासिंग देने के नाम पर जगह-जगह रोके जाने की व्यथा को परेशान यात्री ने ट्वीटर पर व्यक्त करते हुए सभी ट्रेनों के यात्रियों के समय का सम्मान करने की नसीहत दी है। हुआ यूं कि बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर रायपुर आ रही दो ट्रेन करीब 5 मिनट के अंतराल में आकर रुकीं। पहले आने वाली ट्रेन को रोककर बाद में आने वाली ट्रेन को ग्रीन सिग्नल दे दिया गया। दूसरी ट्रेन के यात्री यह सोच कर खुश हो गए कि बाद में आने के बावजूद हमारी ट्रेन को पहले छोड़ दिया गया है। हम पहले अपने गंतव्य को पहुंच जाएंगे। लेकिन ट्रेन छूटने के 5 मिनट बाद ही दूसरी ट्रेन दूसरी ट्रेन के यात्रियों की खुशी उस समय काफूर हो गई जब उनकी ट्रेन है प्लेटफार्म से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर खड़ा कर दिया है। ट्रेनों के आगे पीछे संचालन को लेकर रेलवे के अपने मापदंड और नियम हो सकते हैं लेकिन इनकी समझ से परे आम आदमी के लिए समय कीमती है। और पीछे आ रही ट्रेन को पासिंग देने के नाम पर अच्छी खासी चलती दूसरी ट्रेन को जगह जगह खड़ी कर देना। यह यात्रियों के लिए त्रासदी से कम नहीं है। ऐसा कुछ वाकया रायगढ़ से आ रही जनशताब्दी और कोरबा रायपुर हसदेव एक्सप्रेस के बीच देखने को मिला। पहले पहुंचने के बावजूद जनशताब्दी को कोरबा रायपुर के बाद बिलासपुर से आगे के लिए रवाना किया गया। वहीं प्लेटफार्म से महज 1 किलोमीटर दूर खड़ी कर दी गई हसदेव एक्सप्रेस जनशताब्दी को पासिंग दिए बिना फिर से ग्रीन सिग्नल दे दिए। इसके बाद यह गाड़ी अपनी रफ्तार से चली। बीच में पीछे आ रही ट्रेन को पासिंग देने के नाम पर रोकी जाती रही। आखिरकार इसे 09 : 35 बजे भाटापारा रेलवे स्टेशन से पहले ओवरब्रिज के पास में रोक दिया गया। यहां जनशताब्दी को पासिंग दी गई। यात्री संस्कार श्रीवास्तव ने 1993 में आई फिल्म खलनायक के गाने देर से आना जल्दी जाना साहेब ये ठीक नहीं गाने की तर्ज पर अपनी पीड़ा ट्विटर पर शेयर करते हुए इस कार्यनीति को सुधार सभी ट्रेनों के यात्रियों के समय का सम्मान करने की नसीहत दी है। यह गाड़ी 12:02 पर डेढ़ घंटा लेट रायपुर पहुंची।
No comments