देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की आने वाले दिनों में टेंशन बढ़ सकती है। अपनी मांगों के निस्तारण के लिए धामी सरकार में कैबिनेट मंत...
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की आने वाले दिनों में टेंशन बढ़ सकती है। अपनी मांगों के निस्तारण के लिए धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री ने फिर आवास उठाई है। सरकार के इस रवैये पर सवाल भी उठाए हैं। धामी सरकार से मांग की है कि उनकी लंबित मांग का जल्द ही निस्तारण किया जाए। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज नौकरशाहों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) लिखने का अधिकार मंत्रियों को दिलाने के लिए एक बार फिर मुखर हो गए हैं। महराज का कहना है कि जब मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को मंतव्य दर्ज करने का हक है तो मंत्रियों को क्यों नहीं? महाराज ने फिर यह मुद्दा उठाया। उनका कहना है कि अन्य राज्यों की भांति उत्तराखंड में भी कैबिनेट मंत्रियों को सचिवों के एसीआर पर अपना मंतव्य अंकित करने का अधिकार मिलना चाहिए। इससे विकास कार्यों में पारदर्शिता आने के साथ-साथ विभागों की समीक्षा भी सही प्रकार से की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में भी पूर्ववर्ती एनडी तिवारी सरकार में मंत्रियों को अफसरों की एसीआर लिखने का अधिकार था। तो इस परिपाटी को पुन लागू करने में किसी को क्या परेशानी हो सकती है? महाराज ने कहा कि यह बात सही है कि एसीआर पर मुख्यमंत्री का मतंव्य अंतिम फैसला माना जाता है, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं है कि मंत्री अपना मंतव्य अंकित नहीं कर सकते। उन्होंने अदालत का उदाहरण देते हुए कहा कि जब कोई मुकदमा चलता है तो लोअर कोर्ट, सेशन कोर्ट और हाईकोर्ट इन सबका मंतव्य उसमें आता है। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट चाहे जो भी निर्णय ले ले। महाराज ने कहा कि पंचायती राज विभाग में ब्लाक प्रमुखों को खंड विकास अधिकारियों व जिला पंचायत अध्यक्षों को सीडीओ की एसीआर लिखने के पूर्व में हुए शासनादेश को भी पुन लागू किया जा चुका है, ताकि पंचायतों में होने वाले विकास कार्य में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगने के साथ-साथ गुणवत्ता युक्त कार्य किए जा सकें। इसलिए मेरा फिर कहना है कि व्यवस्था की जो एक कड़ी बनी थी, वह टूटनी नहीं चाहिए थी। पर्यटन मंत्री ने कहा कि पूर्व में कैबिनेट बैठक के दौरान जब सभी मंत्री इस पर अपनी सहमति व्यक्त कर चुके हैं तो इस व्यवस्था को लागू करने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए। विदित है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मुख्य सचिव को यह प्रस्ताव कैबिनेट बैठक में लाने के निर्देश दे चुके हैं।
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