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ईंट बनाते बनाते दो बहनो ने पुरे किये सपने एक एमए की टॉप दूसरी नीट में सफल

   दुर्ग। मन में इच्छा शक्ति हो, कुछ कर गुजरने की ललक हो तो सुविधाओं की कमी आपको मंजिल पाने से नहीं रोक सकती। दुर्ग ब्लाक के डूमरडीह गांव ...

 

 दुर्ग। मन में इच्छा शक्ति हो, कुछ कर गुजरने की ललक हो तो सुविधाओं की कमी आपको मंजिल पाने से नहीं रोक सकती। दुर्ग ब्लाक के डूमरडीह गांव की दो बहनों से इसे साबित कर दिया। परिवार के काम में माता-पिता का हाथ बंटाया। जितनी शिद्दत के साथ परिवार के काम में हाथ बंटाया उतनी ही शिद्दत के साथ अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास भी किया। एक बहन यूनिवर्सिटी में टापर बनी तो दूसरी ने नीट में सफलता हासिल की। दुर्ग जिले के डूमरडीह गांव में रहने वाले बैजनाथ चक्रधारी ईंट बनाने का काम करते हैं। परिवार में पत्नी कुसुम, तीन बेटियां और एक बेटा है। ईंट बनाकर जीवन-यापन करने वाले बैजनाथ चक्रधारी की छोटी बेटी युमना ने नीट में 720 में से 516 अंक लेकर आल इंडिया रैंक 93,683 व कैटेगिरी(ओबीसी) रैंक 42864 हासिल की। यमुना की बड़ी बहन युक्ति ने वर्ष 2022 में शासकीय महाविद्यालय उतई से एमए इतिहास की परीक्षा 84 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण कर हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग की प्रावीण्य सूची में द्वितीय स्थान पर रही। डूमरडीह निवासी बैजनाथ चक्रधारी की बेटियों पर पूरे गांव को गर्व है। ग्रामीणों ने दोनों बहनों के इस बेहतर प्रदर्शन के लिए न सिर्फ सराहा अपितु उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए सम्मानित करने का भी निर्णय लिया है। ग्रामीणों का कहना है कि दोनों बहनों ने गांव और ग्रामीणों का मान बढ़ाया है। दोनों ही बहनें दूसरों के लिए प्रेरणा हैं। उनसे गांव की अन्य बेटियाें को भी सीखने मिलेगा। यमुना और युक्ति ने बताया कि उसके माता-पिता ईंट बनाने का काम करते हैं। यह काम परिवार के सभी सदस्य मिलकर करते हैं। इस काम में तीनों बहन और भाई अपने माता-पिता का सहयोग करते हैं। उनके साथ मिलकर ईंट बनाते हैं। कभी-कभी इस काम में समय भी अधिक देना पड़ता है। लेकिन काम के साथ-साथ पढ़ाई भी जरूरी है। यमुना ने बताया कि वह रोजाना पांच से छह घंटे पढ़ाई करती है। यमुना शुरू से ही मेधावी रही है। पढ़ाई के प्रति उसकी लगन और प्रतिभा को देखते हुए स्कूल के शिक्षक शिक्षिकाओं एवं उतई के चिकित्सक डा.अश्वनी चंद्राकर ने उन्हें नीट परीक्षा दिलाने के लिए प्रोत्साहित किया। उनकी मदद से एक निजी कोचिंग में प्रवेश लिया। लेकिन कोरोना महामारी के कारण कोचिंग पूरी नहीं कर पाई। इसके बाद उसने घर में ही रहकर नीट की तैयारी की। यमुना का कहना है कि उसे खुद पर भरोसा था कि वह नीट उत्तीर्ण कर लेगी। यमुना की सफलता से गदगद पिता बैजनाथ चक्रधारी ने कहा कि परिवार के काम में उनकी बेटियां बहुत मदद करती है। बेटी आगे बढ़ेगी तो परिवार का नाम भी रोशन होगा। वहीं यमुना की मां कुसुम निरक्षर है। मां का कहना है कि बेटियां खुद अपनी मंजिल को तय कर रही हैं इससे बड़ी खुशी उसके लिए कुछ और नहीं है।

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