रायपुर। पर्यटन मन को आनंदित करते हैं, तो आध्यात्मिक स्थल मन को शांति प्रदान करते हैं। अगर इन दोनों जगह का संगम हो जाए तो और क्या ही कहने। ऐस...
रायपुर। पर्यटन मन को आनंदित करते हैं, तो आध्यात्मिक स्थल मन को शांति प्रदान करते हैं। अगर इन दोनों जगह का संगम हो जाए तो और क्या ही कहने। ऐसा देखा जाता है कि जहां मंदिर होते है वहां आसपास की जगह भी हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण होता है। पर्यटन और धार्मिक आस्था का केंद्र महादेव घाट भी कुछ इसी तरह की अनुभूति कराती है। इस सप्ताह आप परिवार और दोस्तों के साथ यहां की सैर कर सकते हैं। सामान्य दिनों में यहां भीड़ तो रहती ही है, वीकेंड में पर्यटकों की भीड़ दोगुनी और तीगुनी हो जाती है। पर्यटन और धार्मिक आस्था का केंद्र महादेव घाट खारुन नदी के तट पर बसा है। यहां प्राचीन हटकेश्वर महादेव मंदिर है। महादेव घाट पर एक ओर जहां भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए लोग उमड़ते हैं, वहीं पिकनिक मनाने के लिए भी परिवार समेत लोग पहुंचते हैं। हरिद्वार की तर्ज पर खारुन नदी के ऊपर बना लक्ष्मण झूला और नौकायन का आनंद भी यहां का विशोष आकर्षण है। लक्ष्मण झूला के नीचे पर्यटकों के लिए फूलों से सजी-धजी नौकाओं की व्यवस्था है। इन नौकाओं में बैठकर पर्यटक नदी की बीच धारा तक जाकर प्रकृति के अद्भुत नजारे का आनंद ले सकते हैं। नौका में संगीत की मधुर धुनें गूंजती रहती हैं। शाम होते ही नौकायान करते समय ऐसा प्रतीत होता जैसा कश्मीर की किसी झील या नदी में नौकायान कर रहे हैं। झूले के ऊपर से होकर नदी के उस पार जाने पर मनमोहक गार्डन देखने को मिलता है। यहां बच्चों के साथ पिकनिक मनाने का आनंद लिया जा सकता है। इस पुल के बीच में खड़े होकर लोग बहती नदी एवं प्राकृतिक सौंदर्य का नजारा लेते नजर आते हैं। गार्डन में अनेक झूले और सेल्फी जोन है, जहां से युवक-युवतियां प्रकृति के बीच रहकर यादों को संजोने सेल्फी खिचवाते हैं। महादेव घाट की ऊंची सीढ़ियों के किनारे बैठकर भी नदी का मनमोहक नजारा देखा जा सकता है। लगभग एक किलोमीटर तक लंबी सीढ़ियों पर रविवार एवं पर्व त्योहारों के दिन भीड़ रहती है। महादेव घाट में महाशिवरात्रि, हिंदू संवत्सर के माघ महीने की पूर्णिमा और कार्तिक पूर्णिमा पर मेला लगता लगता है। श्रद्धालु नदी में पुण्य की डुबकी लगाते हैं और महादेव का दर्शन लाभ लेते हैं।प्राचीन हटकेश्वर महादेव मंदिर के आसपास करीब 50 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर हैं। इनमें संगमरमर से बना हनुमान मंदिर, काली मंदिर, राधा-कृष्ण मंदिर, कुम्हार मंदिर, सांई मंदिर, संत कबीरदासजी के चार कानों वाले घोड़े की समाधि आदि प्रसिद्ध है। इसे चौकन्नो घोड़े की समाधि कहा जाता है। इस समाधि का गुंबद संत कबीर साहेब की टोपी के रूप में बनाया गया है। प्राचीन हटकेश्वर महादेव मंदिर के आसपास करीब 50 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर हैं। इनमें संगमरमर से बना हनुमान मंदिर, काली मंदिर, राधा-कृष्ण मंदिर, कुम्हार मंदिर, सांई मंदिर, संत कबीरदासजी के चार कानों वाले घोड़े की समाधि आदि प्रसिद्ध है। इसे चौकन्नो घोड़े की समाधि कहा जाता है। इस समाधि का गुंबद संत कबीर साहेब की टोपी के रूप में बनाया गया है।
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