नई दिल्ली । पाकिस्तान में 9 जून को बजट पेश होना है लेकिन उससे पहले शहबाज शरीफ सरकार परेशान है। पाकिस्तान में इस साल चुनाव भी होने हैं। आर्थ...
नई दिल्ली । पाकिस्तान में 9 जून को बजट पेश होना है लेकिन उससे पहले शहबाज शरीफ सरकार परेशान है। पाकिस्तान में इस साल चुनाव भी होने हैं। आर्थिक रूप से जर्जर हो चुके पाकिस्तान के बजट में सरकार को इसका भी ख्याल रखना है कि उसे लोक-लुभावन बनाया जा सके, ताकि उसकी बिसात पर चुनावी गोटियां बिछाई जा सकें लेकिन दूसरी तरफ सरकार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का प्रेशर झेलना पड़ रहा है। वह चाहकर भी लोगों के लिए लोक लुभावन योजनाओं का विस्तार नहीं कर पा रही है। जियो न्यूज के मुताबिक, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने वित्त मंत्रालय से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि 9 जून को पेश होने वाले अगले बजट में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा निर्धारित मापदंडों का कोई उल्लंघन न हो। एक जानकार सूत्र के हवाले से जियो न्यूज ने लिखा है कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री इशाक डार के बीच मंगलवार को हुई बैठक में इस बात की उम्मीद जताई गई है कि सरकार आईएमएफ के साथ जल्द ही समझौते पर पहुंचेगी। मीडिया रिपोर्टों के विपरीत कि सरकार चुनावी वर्ष लोकप्रिय बजट देगी,एक सूत्र ने कहा: "पाकिस्तान ऐसा कोई भी बजट नहीं दे सकता है जो आईएमएफ की निर्धारित बुनियादी बातों का उल्लंघन करता हो।" सूत्र ने कहा कि एक सप्ताह पहले आईएमएफ प्रबंध निदेशक के साथ टेलीफोन पर लंबी बातचीत के बाद प्रधानमंत्री शरीफ आईएमएफ कार्यक्रम के पुनरुद्धार को लेकर काफी आशान्वित दिख रहे हैं। बता दें कि पिछले दिनों पीएम शहबाज शरीफ ने पटरी से उतरे 6.5 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज को पुनर्जीवित करने के लिए आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा से संपर्क किया था। पीएम शहबाज और जॉर्जीवा के बीच बातचीत वित्त मंत्रालय द्वारा पिछले चार महीनों के दौरान ऋण वार्ता पर गतिरोध को तोड़ने में विफल रहने के बाद हुई है। जियो न्यूज ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि IMF की एमडी से बातचीत के बाद प्रधानमंत्री शरीफ काफी संतुष्ट थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उसी बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी थी कि पाकिस्तान आईएमएफ के साथ बजट विवरण साझा करेगा। सूत्र ने कहा, आईएमएफ के एमडी ने भी कार्यक्रम को फिर से पटरी पर लाने का संकेत दिया है। इसी वजह से पीएम शहबाज ने सोमवार को तुर्की मीडिया से कहा कि पाकिस्तान को इस महीने आईएमएफ के साथ एक समझौते को अंतिम रूप देने की बहुत उम्मीद है और इसी उम्मीद की वजह से पाकिस्तान सरकार चाहकर भी चुनावी साल में लोकलुभावन बजट पेश करने में अपना हाथ बंधा हुआ महसूस कर रही है।
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