देहरादून। उत्तराखंड को दुनिया का जानामाना आयुष डेस्टिनेशन बनाया जाएगा। वहीं, उत्तराखंड में आयुर्वेदिक दवाओं एवं उत्पादों का उत्तराखंड हब बने...
देहरादून। उत्तराखंड को दुनिया का जानामाना आयुष डेस्टिनेशन बनाया जाएगा। वहीं, उत्तराखंड में आयुर्वेदिक दवाओं एवं उत्पादों का उत्तराखंड हब बनेगा। प्रमाणिक एवं बेहतर आयुष शिक्षा एवं चिकित्सा उपलब्ध कराने को अगले पांच सालों में आयुष शिक्षण संस्थानों को नैक एवं अस्पतालों, वेलनेस सेंटरों को एनएबीएच की मान्यता दिलाकर उनमें उच्च स्तर की सुविधाएं प्रदान की जाएगी। उत्तराखंड की नई आयुष नीति में ये तमाम नई व्यवस्था की जा रही है। आयुष निदेशालय की ओर से नई नीति का ड्राफ्ट फाइनल कर दिया गया है, 12 जुलाई तक सभी जिलों के अफसरों एवं विशेषज्ञों समेत आम जनता से सुझाव मांगे हैं। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत इन्वेस्टर्श एवं निजी क्षेत्रों को आयुष प्लांट्स, मेडिसन व आयुर्वेद उत्पादों, हेल्थकेयर, वेलनेस, एजुकेशन और रिसर्च में इन्वेस्ट करने को प्रोत्साहित किया जाएगा। प्रोत्साहन को सब्सिडी, किसानों को आजीविका, लैब खोलेंगे। आयुष कॉलेजों को नैक ग्रेड पर ढ़ाई से 15 लाख रुपये प्रोत्साहन दिया जाएगा।
राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मानक स्थापित होंगे
आयुर्वेद विभाग के संयुक्त निदेशक डा. मिथिलेश सिंह के मुताबिक नई नीति में आयुष के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानक स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। तकनीक और नवाचार को बढ़ावा देने, सरकारी और निजी क्षेत्र द्वारा मिलकर काम करने की बात कही गई है। विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डा. नवीन चंद्र जोशी का कहना है कि नई आयुष नीति आयुष चिकित्सको में स्किल डेवलपमेन्ट के साथ जनसामान्य के लिए भी आयुष के क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित करेगी। आयुष ग्राम बनने से स्थानीय लोग साथ में जुड़ेंगे।
इनकी होगी जिम्मेदारी
मेडिसिन प्लांट के लिए हर्बल रिसर्च एंड डेवलपमेंड इंस्टीट्यूट, मेन्युफेक्चरिंग, हेल्थकेयर एवं वेलनेस और आयुष होटलाइन, हेल्पडेस्क, ग्रीवांस के लिए आयुष विभाग, शिक्षा और रिसर्च के लिए उत्तराखंड आयुर्वेद विवि को जिम्मेदार संस्था होगी।
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