नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को एससीओ शिखर सम्मेलन की वर्चुअल बैठक हुई। शिखर सम्मेलन में चीन, पाकिस्तान, ...
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को एससीओ शिखर सम्मेलन की वर्चुअल बैठक हुई। शिखर सम्मेलन में चीन, पाकिस्तान, रूस समेत अन्य सदस्य देशों के शामिल हुए। बैठक में पाकिस्तान से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ जुड़े हैं। वहीं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत सदस्य देशों के अन्य नेता शामिल हुए। इस दौरान क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक कनेक्टिविटी और व्यापार सहित प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने बिना नाम लिए पाकिस्तान को घेरा। उन्होंने कहा, कुछ देश क्रॉस बॉर्डर टेररिज्मको अपनी नीतियों को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। आतंकवादियों को पनाह देते हैं। SCO को ऐसे देशों की आलोचना में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा, पिछले दो दशकों में, एससीओ एशियाई क्षेत्र की शांति, समृद्धि और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है। हम इस क्षेत्र को न केवल एक विस्तारित पड़ोस के रूप में, बल्कि एक विस्तारित परिवार के रूप में भी देखते हैं। SCO के अध्यक्ष के रूप में भारत ने हमारे बहुआयामी सहयोग को नई उचाईयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। इन सभी प्रयासों को हमने दो सिद्धांतों पर आधारित किया है। हमें मिलकर यह विचार करना चाहिए कि क्या हम एक संगठन के रूप में हमारे लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में समर्थ हैं? क्या हम आधुनिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं? क्या SCO एक ऐसा संगठन बन रहा है जो भविष्य के लिए पूरी तरह से तैयार हो? पुतिन और शी के इस साल सितंबर में नई दिल्ली का दौरा करने की उम्मीद है। दोनों नेता भारत में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन भी मौजूद रहेंगे। इस बीच खबर है कि पश्चिम और रूस नियंत्रित बाजार में चीन अपने परमाणु असैन्य ऊर्जा सहयोग को बढ़ाने में लगा है। इसी के तहत पिछले महीने चीन ने पाकिस्तान के साथ 4.8 अरब डालर के परमाणु ऊर्जा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। विशेषज्ञों द्वारा इसे चीन की ओर से जानबूझकर उठाया गया कदम बताया जा रहा है। चीन ने यह समझौता ऐसे समय किया है जब उसे पाकिस्तान में अपने निवेश को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा लगता है कि चीन का झुकाव आर्थिक से ज्यादा रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर है। परमाणु नीति कार्यक्रम विशेषज्ञ मार्क हिब्स ने कहा कि चीन पाकिस्तान में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण जारी रखना चाहता है जिससे चीन के उद्योग अधिक आकर्षक परमाणु ऊर्जा बाजारों में प्रवेश करने का ट्रैक रिकार्ड बना सकें।
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