नई दिल्ली। रूस और यू्क्रेन के बीच 17 महीनों से चल रहा महायुद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब युद्ध में क्लस्टर बम के इस्तेमाल का खतरा...
नई दिल्ली। रूस और यू्क्रेन के बीच 17 महीनों से चल रहा महायुद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब युद्ध में क्लस्टर बम के इस्तेमाल का खतरा मंडरा रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह पहला मौका होगा, जब इन बमों का इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि अभी इन बमों के इस्तेमाल को लेकर स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है। अमेरिका ने पिछले सप्ताह यूक्रेन को जारी सैन्य मदद में क्लस्टर बमों को भेजने की बात कही है। इस पर रूस बौखलाया हुआ है। व्लादिमीर पुतिन ने चेतावनी दी है कि अगर यूक्रेन ने इन बमों का इस्तेमाल किया तो वो भी चुप नहीं बैठेगा। रूस उन चुनिंदा देशों में एक है, जिसके पास इस तरह के घातक हथियार हैं। फिर भी पुतिन टेंशन में हैं। क्या भारत के पास भी इस तरह के हथियार हैं?
यूक्रेन और रूस के बीच महाजंग को लंबा वक्त हो चुका है। न ही रूस ने अपनी जिद छोड़ी है और न यूक्रेन पीछे हटा है। युद्ध के इन 17 महीनों में अमेरिका 40 से अधिक बार यूक्रेन को सैन्य मदद पहुंचा चुका है। इसके अलावा नाटो और यूरोप के कई देश भी यूक्रेन को लगातार मदद कर रहे हैं। इन्ही मदद के दम पर यूक्रेन इतने वक्त तक रूस को लोहे के चबवा रहा है। लेकिन, अब क्लस्टर बमों की एंट्री ने इस युद्ध को और खतरनाक कर दिया है। पूरी दुनिया हैरान और डरी हुई है कि अब आने वाले कुछ दिनों में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध खतरनाक मोड़ ले सकता है।
कितने खतरनाक क्लस्टर बम
क्लस्टर बमों को किसी भी युद्ध में निर्णायक समझा जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका ने इन बमों का इस्तेमाल करके सनसनी मचा दी थी। ये एक बड़े से हथियार में हजारों की संख्या में होते हैं। इन बमों का वजन 20 किलोग्राम तक हो सकता है। ये हथियार हवा से जमीन में छोड़े जाते हैं और जमीन पर गिरने के साथ ही इसके अंदर बम इलाके में जगह-जगह गिरकर तबाही मचाते हैं। इन हथियारों के बेहद विनाशकारी परिणाम सामने आने के बाद 100 से अधिक देशों द्वारा इन पर पाबंदी है। ये बम लंबे वक्त तक सक्रिय रहते हैं। किसी के छूने या छेड़छाड़ करने पर फट जाते हैं और विनाश कर देते हैं।
टेंशन में पुतिन
अमेरिका द्वारा यूक्रेन को क्लस्टर बम भेजने पर हामी भरने के बाद से पुतिन टेंशन में हैं। उन्हें डर है कि अब यूक्रेन अगर क्लस्टर बमों का इस्तेमाल करता है तो इससे युद्ध में वह पिछड़ सकता है या उसके बहुत से सैनिक अपनी जान गंवा सकते हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर युद्ध में यूक्रेन की तरफ से क्लस्टर बमों का यूज होता है कि यह गेम चेंजर साबित होगा। यूक्रेन का पलड़ा भारी हो सकता है। इसीलिए पुतिन ने यूक्रेन को चेतावनी दी है कि अगर उसने इन बमों का इस्तेमाल किया तो वह भी पीछे नहीं रहेगा। इससे युद्ध के और खरतनाक मोड़ पर जाने की पूरी संभावना है।
बड़ी संख्या में आम नागरिकों की मौत का खतरा है। क्योंकि, इन बमों का प्रभाव लंबे समय तक रहता है। ये बम एक हथियार में बड़ी संख्या में होते हैं। जो हवा से जमीन पर छोड़े जाते हैं। कई बार बड़ी संख्या में बम मिट्टी में दब जाते हैं और लंबे समय तक शांत रहते हैं। अचानक किसी के पैर रखने या छेड़ने पर फट जाते हैं। इसलिए इन बमों को परमाणु बमों के बाद सबसे खतरनाक हथियारों की श्रेणी में गिना जाता है।
भारत के पास क्लस्टर बम
भारत उन मुट्ठी भर देशों में से एक है जो बमबारी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले क्लस्टर बमों का भंडार रखता है। क्लस्टर बमों का टारगेट इलाके पर लंबे समय तक प्रभाव रहता है। जिससे यह और खतरनाक हो जाता है। इसके अवशेष भी लंबे समय तक आम नागरिकों के जीवन के लिए खतरा पैदा हो सकते हैं। स्वीडिश हथियार निगरानी संस्था स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) के मुताबिक, क्लस्टर हथियारों पर वैश्विक प्रतिबंध के बाद इस पर काम 2012 से बंद है। 100 से अधिक देश इन बमों को बैन चुके हैं। भारत के पास M395 क्लस्टर हथियार हैं।
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