जोशीमठ । उत्तराखंड में बारिश के बीच चमोली जिले के जोशीमठ में प्रभावित घरों के नीचे से पानी बहने की आवाज ने शहर में अस्थिरता की आशंका पैदा कर...
जोशीमठ । उत्तराखंड में बारिश के बीच चमोली जिले के जोशीमठ में प्रभावित घरों के नीचे से पानी बहने की आवाज ने शहर में अस्थिरता की आशंका पैदा कर दी है। सुनील वार्ड के रहवासियों ने फर्श पर कान लगाते ही पानी बहने की आवाज सुनी। सुनील वार्ड के निवासी विनोद सकलानी जिनके घर में दो साल पहले दरारें पड़ने वाले पहले घरों में से एक था, उन्होंने कहा कि भारी बारिश के बाद 13 अगस्त को मैंने पहली बार अपने घर के नीचे पानी बहने की आवाज सुनी। ऐसा महसूस हुआ मानो हमारी मंजिल के नीचे कोई जलधारा बह रही हो। आवाज अब चली गई है। लेकिन यह डरावना है। कुछ भी हो सकता है। मैं अपने कान फर्श से सटाकर नियमित रूप से जांच करता रहता हूं।
भौगोलिक स्थिति बिगड़ने के बाद जिला प्रशासन द्वारा सकलानी के परिवार को 6 जनवरी को एक होटल में स्थानांतरित कर दिया गया था। उन्होंने कहा, 'नुकसान के मुआवजे के भुगतान के बाद हमें राहत शिविर (होटल) छोड़ने के लिए कहा गया था। जिसके बाद से हम अपने क्षतिग्रस्त घर में रह रहे हैं। क्षतिग्रस्त मकानों में दरारें धीरे-धीरे ही सही लेकिन बढ़ती जा रही हैं। अब हमने घर के नीचे पानी बहने की आवाज़ सुनी है। ऐसी स्थिति में बच्चों के साथ रहना डरावना है। इस साल जुलाई में सकलानी को अपने घर के एक छोटे से खेत में 6 फीट गहरा गड्ढा मिला, जिसे उन्होंने पत्थर से भर दिया। जोशीमठ में दरारें और ज़मीन में दरारें जनवरी के पहले सप्ताह में शुरू हुईं। जब जोशीमठ की तलहटी में जेपी कॉलोनी में एक जलधारा फूट गई। उस वक्त भी स्थानीय लोगों ने कई घरों के नीचे से पानी बहने की आवाज सुनी थी। कई विशेषज्ञ एजेंसियों ने पूरे शहर का अध्ययन किया था लेकिन उनकी तथ्य-खोज रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई थी।
स्थानीय लोगों ने कहा कि फरवरी में स्थिति स्थिर हो गई, लेकिन मानसून की बारिश से स्थिति फिर से खराब हो रही है। 21 अगस्त को चमोली जिला प्रशासन द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, शहर में 868 संरचनाओं में दरारें आ गई हैं और 181 खतरे के क्षेत्र में हैं। फरवरी के पहले सप्ताह से आंकड़े अपरिवर्तित हैं, हालांकि शहर के सुनील वार्ड में घरों में ताजा दरारें देखी गईं, जिसके परिणामस्वरूप पांच परिवारों को राहत शिविरों में स्थानांतरित कर दिया गया। जोशीमठ व्यापार मंडल के अध्यक्ष नैन सिंह भंडारी ने कहा, 'शहर की वर्तमान स्थिति सरकार के प्रति लापरवाह रवैये के बारे में सब कुछ कहती है। बिगड़ती स्थिति के बावजूद उनमें (अधिकारियों) अभी भी संवेदनशीलता की कमी है। इस मुद्दे के समाधान के लिए कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।'
एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर, भूविज्ञानी वाईपी सुंदरियाल ने कहा, 'पहाड़ी क्षेत्रों में भूजल चैनल स्थायी नहीं होते हैं, लेकिन बारिश से रिचार्ज हो जाते हैं। यदि उन्हें एक्सपोज़र मिलता है, तो वे नीचे की ओर बहते हैं। यदि लोग अपने घरों के नीचे पानी बहने की आवाज़ सुन सकते हैं। तो यह एक गंभीर चिंता का विषय है। यह घरों की नींव को नुकसान पहुंचा सकता है।' पर्यावरण कार्यकर्ता और चार धाम परियोजना पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति के पूर्व सदस्य हेमंत ध्यानी ने कहा, 'वर्षा जल के संचय से जलभृत में उच्च दबाव हो सकता है। यहां तक कि इसके फटने की भी नौबत आ सकती है। हालांकि यह ग़लतफ़हमी हो सकती है। किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले वैज्ञानिक जमीनी निरीक्षण की जरूरत है।
अतिरिक्त जिला सूचना अधिकारी (एडीआईओ) रवींद्र नेगी ने कहा कि विशेषज्ञों की एक टीम शहर में ताजा दरारों सहित मौजूदा स्थिति का अध्ययन करेगी। नेगी के अनुसार, संबंधित एजेंसियों की एक टीम आगे के उपायों के लिए ताजा दरारों सहित मौजूदा स्थिति का ताजा सर्वेक्षण करेगी। वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आश्वासन के बावजूद 11 सूत्रीय मांगें पूरी न होने पर प्रभावित परिवारों ने 21 अगस्त को धरना दिया। समिति की मांगों में पूरे शहर को आपदा प्रभावित घोषित करने प्रभावित लोगों को मुआवजा देने की प्रक्रिया को सरल बनाने, समस्या का अध्ययन करने वाली एजेंसियों की रिपोर्ट प्रकाशित करने, तपोवन-विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना को रद्द करने, हेलंग मारवाड़ी बाईपास शामिल है।
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