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कांस्टेबल बबीता आठ सालों से दे रही साइबर ठगों को मात

   रायपुर। इंटरनेट एक ओर इंसानों के काम को सरल कर समय बचा रहा है तो दूसरी ओर जरूरत से ज्यादा निर्भरता ने हमारी आंखों में काली पट्टी बांध द...

 

 रायपुर। इंटरनेट एक ओर इंसानों के काम को सरल कर समय बचा रहा है तो दूसरी ओर जरूरत से ज्यादा निर्भरता ने हमारी आंखों में काली पट्टी बांध दी है। दिनोंदिन साइबर ठगी (आनलाइन ठगी) बढ़ती जा रही है। रायपुर शहर में भी रोजाना 10 से 15 आनलाइन ठगी से जुड़ी शिकायतें साइबर पुलिस तक पहुंच रही है। क्राइम ब्रांच यूनिट के साथ यूनिट की कांस्टेबल बबीता देवांगन भी किसी के मेहनत की कमाई कोई न छीने पाएं, इस उद्देश्य से साइबर ठगों के मंसूबों पर पानी फेर रही हैं। सूझ-बूझ, जागरूकता का परिचय देते और अपना दायित्व निभाते हुए अब तक कई प्रकरण में लाखों रुपये तक ट्रांसफर होने से बचा लिए। कार्यों के लिए विभाग के साथ अन्य संगठन और संस्था भी उनका सम्मान कर चुके हैं। पिछले आठ वर्ष से साइबर ठगी के इस तरह के मामलों में जांच करते हुए कांस्टेबल बबीता लगभग 30 तरीकों के ठगी से वाकिफ है। खास बात यह है कि उन्होंने साइबर से जुड़ी पढ़ाई नहीं की है। लंबे समय से केस स्टडी करते हुए वे साइबर अपराध को भांप लेती हैं। उनका कहना भी है कि साइबर यूनिट के साथ काम करते हुए हाइटेक ठगी में अब बेहतर स्टडी है। क्राइम यूनिट में स्मार्ट फोन और इंटरनेट के हाइटेक फीचर्स के बीच ठगों का तोड़ निकालने की चुनौती थी, लेकिन जब वह फोन काल्स और वालेट ट्रांजेक्शन का डाटा खंगालने में जुटी तो सफलता मिलती गई। बबीता ने बताया कि इस काम में इतनी जटिलता होती है कि टीम के मदद के बिना ठग को जान पाना मुश्किल होता है। इसमें टीम और रवि प्रभाकर का भी पूरा सहयोग रहता है। बबीता देवांगन ने बताया कि सप्ताह के सोमवार से शुक्रवार 10 से 15 साइबर ठगी से जुड़ी शिकायतें आती हैं। लेकिन शनिवार और रविवार को यह आकड़ा दोगुना हो जाता है। वीकेंड में ठग रिश्तेदार बनकर और बैंक बंद होने का कारण बताकर बैंक में जमा राशि उठा ले जाते हैं। पहले इस तरह के काल राजस्थान क्षेत्र से अधिक लगभग 80 प्रतिशत और 20 प्रतिशत झारखंड क्षेत्र से आते हैं। कांस्टेबल बबीता ने बताया कि साइबर अपराध में वीडियो काल ठगी का एक नया तरीका बनकर तेजी से उभरा है। जागरूकता की कमी या फिर शर्मिंदगी के कारण लोग इसकी गिरफ्त में आते जा रहे हैं। साइबर अपराधी लोगों की इसी हिचकिचाहट का फायदा उठाकर उनसे फिरौती की मांग करते हैं। आधार कार्ड बैंक से जोड़ना है, लाटरी फंसी है, इनाम की राशि मिलेगी, एटीएम कार्ड की वैलिडिटी खत्म हो गई है, आनलाइन खरीदी में भारी छूट की स्कीम। फेक ईमेल के जरिए आनलाइन ट्रेडिंग, आनलाइन मोबाइल टावर बिजनेस, सिम कार्ड की वैधता खत्म हो गई, जाब आफर, आर्मी से हूं या रिश्तेदार हूं, मदद चाहिए आदि।

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