देहरादून । उत्तराखंड में बिजली की दरें हर महीने बदलेंगी। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश में फ्यूल एंड पावर परचेज कॉस्ट एडजेस्टमेंट...
देहरादून । उत्तराखंड में बिजली की दरें हर महीने बदलेंगी। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश में फ्यूल एंड पावर परचेज कॉस्ट एडजेस्टमेंट के नए नियम जारी किए हैं। ऐसे में अब यदि यूपीसीएल बाजार से महंगी बिजली खरीदेगा तो उसका प्रभाव उपभोक्ताओं पर उसी महीने के बिल में दिखाई पड़ना शुरू हो जाएगा। अभी तक आयोग, ऊर्जा निगम के लिए हर साल बिजली खरीद का बजट तय करता था। इससे अतिरिक्त खर्च होने पर,उपभोक्ताओं पर उसका असर, अगले वर्ष से बिजली की बढ़ी दरों के रूप में पड़ता था। गतवर्ष जब बाजार में बिजली के रेट ज्यादा बढ़े, तो निगम ने साल के बीच में ही दरें बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा,जो मंजूर भी हो गया। इस बीच, केंद्र सरकार ने नियम जारी कर दिया कि महंगी बिजली की राशि, लोगों से उसी माह से लेने की व्यवस्था शुरू की जाए ताकि ऊर्जा निगमों को उधार में बिजली नहीं खरीदनी पड़े। इस पर आयोग ने भी बुधवार को नई व्यवस्था को लेकर निर्देश जारी कर दिए। आयोग के सचिव नीरज सती ने बताया कि नई व्यवस्था में कुल बिजली खरीद के लिए तय बजट के बाद खर्च का जो भी अंतर आएगा, वो हर माह के बिल में जुड़कर आएगा। अतिरिक्त पैसा खर्च नहीं हुआ तो बिल में भी बदलाव नहीं होगा। हर महीने महंगी बिजली का भार बिजली उपभोक्ताओं पर कुल औसत बिजली दर से 20 प्रतिशत से अधिक नहीं पड़ेगा। आयोग ने ये व्यवस्था कर यूपीसीएल पर नकेल कसने की कोशिश की है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग की नई व्यवस्था के अनुसार बिजली उपभोक्ताओं को कुल औसत बिजली दर से महंगी बिजली का 20 प्रतिशत से अधिक भुगतान नहीं करना होगा। घरेलू उपभोक्ताओं की औसत बिजली बिल की दर 5.33 रुपये प्रति यूनिट है। इस लिहाज से अतिरिक्त महंगी बिजली का भार किसी भी सूरत में 1.07 रुपये प्रति यूनिट से अधिक नहीं पड़ेगा। कमर्शियल 1.50 रुपये प्रति यूनिट, एलटी इंडस्ट्री 1.40 रुपये प्रति यूनिट और एचटी इंडस्ट्री के रेट 1.45 रुपये प्रति यूनिट से रेट नीचे ही रहेंगे। अभी तक ऊर्जा निगम गैस और कोयले से चलने वाले पॉवर प्लांट से जो बिजली खरीदता है, उनके लिए फ्यूल चार्ज एडजस्टमेंट हर तीन महीने में होता है। इस मद में हर तीन महीने में फ्यूल चार्ज के रेट बिजली बिल में बदलते रहते थे। कभी ये बढ़ जाते हैं, तो कभी कम हो जाते हैं। कभी कभी पूरी तरह माफ भी रहते हैं। अब ये फ्यूल चार्ज भी तीन महीने की बजाय हर महीने ही तय होकर उपभोक्ताओं से नियमित रूप से वसूला जाएगा। विरोध दर्ज कराने पहुंचे थे सिर्फ पांच लोग: इस नई व्यवस्था को लागू करने से पहले विद्युत नियामक आयोग ने बाकायदा जनसुनवाई की। लोगों से आपत्ति सुझाव मांगे गए। किसी ने भी सुनवाई में दिलचस्पी नहीं दिखाई। पूरी सुनवाई में बमुश्किल पांच लोग आपत्ति दर्ज कराने पहुंचे, वे भी सिर्फ फर्नेश उद्योग से जुड़े लोग ही पहुंचे।
No comments