Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

- Advertisement - Ads " alt="" />" alt="" />

पितृ पक्ष 29 सितंबर से, 16 दिनों तक करेंगे पितरों की पूजा

  रायपुर।  मृत्यु के पश्चात पूर्वजों को मान-सम्मान देने के लिए पितृ पक्ष में पूर्वजों के नाम पर अर्पण-तर्पण और ब्राह्मण भोज का आयोजन किया जा...

 

रायपुर।  मृत्यु के पश्चात पूर्वजों को मान-सम्मान देने के लिए पितृ पक्ष में पूर्वजों के नाम पर अर्पण-तर्पण और ब्राह्मण भोज का आयोजन किया जाएगा। 16 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से होगी और 14 अक्टूबर को समापन होगा। अंतिम दिन सर्व पितृ अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात सभी मृतकों की आत्मा की शांति के लिए तालाब, नदी किनारे और घरों में अर्पण-तर्पण किया जाएगा। हिंदू संवत्सर 2080 के भाद्रपद पूर्णिमा तिथि और अंग्रेजी वर्ष 2023 के 29 सितंबर से पितृ पक्ष प्रारंभ हो रहा है। पितृ पक्ष अमावस्या तिथि तक यानी 14 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। हिंदू धर्म को मानने वाले प्रत्येक घर के मुखिया अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण की परंपरा निभाएंगे। इस साल के पितृ पक्ष में लगभग 30 वर्ष के बाद सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। अनेक राशि के जातकों को शुभ फल की प्राप्ति होगी। शंकराचार्य आश्रम के प्रमुख ब्रह्मचारी डा.इंदुभवानंद के अनुसार पूर्वजों, जिन्हें पितृ देव कहा जाता है, उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म करने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज अपने परिवार वालों से मिलने के लिए पृथ्वी लोक में पधारते हैं। पूर्वजों का स्वागत करने उनके निमित्त जल अर्पण करके पितरों को भोग लगाकर ब्राह्मण को भोजन करवाकर यथाशक्ति रुपये, अनाज, वस्त्र आदि देकर विदा किया जाता है। इससे पूर्वज प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। पूर्वजों की मृत्यु की तिथि पर ही श्राद्ध करने की परंपरा है। ऐसे पूर्वज जिनकी मृत्यु तिथि के बारे में जानकारी नहीं है, उनका श्राद्ध अंतिम दिन अमावस्या तिथि पर 14 अक्टूबर को किया जा सकता है। कुछ दिनों पहले ही ब्राह्मण को आमंत्रण देकर अपने घर पर सम्मानपूर्वक बुलाएं। पितरों से भोजन करने का आह्वान करके ब्राह्मणों को सात्विक भोजन कराएं। ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा भेंटकर विदा करें। साथ ही गाय, कुत्ते, कौवे को भी भोजन कराएं। दोपहर का समय पितरों का काल माना गया है, इसलिए दोपहर को ही श्राद्ध कर्म संपन्न करें। 

No comments