रायपुर। राजधानी समेत प्रदेशभर में डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। शासकीय समेत निजी अस्पतालों में संक्रमितों का इलाज चल रहा है। डेंगू मरी...
रायपुर। राजधानी समेत प्रदेशभर में डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। शासकीय समेत निजी अस्पतालों में संक्रमितों का इलाज चल रहा है। डेंगू मरीजों को मच्छरदानी में रखकर इलाज करना है, ताकि दूसरे लोग संक्रमित न हो। इस नियम का पालन करना तो दूर निजी अस्पतालों में सामान्य बीमारियों के मरीजों के साथ रखा जा रहा है। इससे सामान्य मरीजों के संक्रमित होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। शंकर नगर स्थित एक निजी अस्पताल में ऐसी ही डेंगू मरीजों का इलाज किया जा रहा है। वार्ड में भर्ती मरीजों के आसपास हार्ट, वायरल बुखार समेत अन्य बीमारियों के मरीज भी भर्ती हैं। बता दें कि डेंगू अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए ज्यादा खतरानाक हो सकता है। इसके बावजूद न तो अलग वार्ड बनाया गया है और न ही पीड़ितों को मच्छरदानी में रखा गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि एडिस मच्छर दिन में ही काटता है। इस मच्छर की खासियत है कि स्वस्थ्य व्यक्ति को काटे तो किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़ता, लेकिन यही मच्छर जब संक्रमित को काटता है तो वह कैरियर बन जाता है। उसके बाद जब मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता तो वह संक्रमित हो जाता है। स्वास्थ्य विभाग ने आयुष्मान और डा. खूबचंद बघेल योजना के तहत डेंगू के इलाज का आठ दिनों का पैकेज करीब 35 हजार तय किया गया है। आइसीयू में मरीज को तीन दिन भर्ती रखा जा सकता है। इसके लिए साढ़े आठ हजार प्रतिदिन के हिसाब से पैकेज तय है। उसके बाद डाक्टर मरीज की स्थिति के हिसाब से पांच दिन जनरल वार्ड में रख सकते हैं। इसके लिए प्रतिदिन का 2200 पैकेज तय किया गया है। प्रदेशभर से अभी तक डेंगू के 299 मरीज मिल चुके हैं। आयुष्मान योजना से भुगतान के लिए 290 क्लेम किया गया है। इसमें कबीरनगर फेस-2 के एक सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के 12 क्लेम शामिल हैं। प्रदेशभर से डेंगू मरीजों के इलाज में फर्जीवाड़े की शिकायतें मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सभी सीएचएमओ को अलर्ट कर जांच के निर्देश दिए हैं। आयुष्मान और डा. खूबचंद बघेल योजना के तहत डेंगू के इलाज का भुगतान करने के लिए क्लेम करने वाले अस्पतालों की जांच की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बहुत से अस्पतालों ने बिना एलाइजा जांच रिपोर्ट के ही क्लेम किया है, जबकि, डेंगू की पहचान के लिए एलाइजा टेस्ट कराना जरूरी है। टेस्ट रिपोर्ट भी आंबेडकर अस्पताल, जिला अस्पताल के हमर लैब या शासकीय स्वास्थ्य संस्थान का ही होना चाहिए। जिला और आंबेडकर अस्पताल में एलाइजा टेस्ट निश्शुल्क होता है। निजी अस्पताल संचालक भी टेस्ट के लिए सैंपल भेज सकते हैं। राज्य महामारी नियंत्रक डा. सुभाष मिश्रा ने कहा, सभी जिलों के सीएमएचओ को क्लेम करने वाले अस्पतालों की जानकारी मांगी गई है। गलत क्लेम करने वालों पर नर्सिंग होम एक्ट के तहत कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं। निजी अस्पतालों में भी डेंगू मरीजों को मच्छरदानी में रखा जाना है। लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। आयुष्मान और डा. खूबचंद बघेल योजना के नोडल अधिकारी डा. खेमराज सोनवानी ने कहा, आयुष्मान और डा. खूबचंद बघेल योजना के तहत डेंगू के इलाज के भुगतान के लिए करीब 290 क्लेम आए हैं। जांच-पड़ताल के बाद ही कार्ड को ब्लाक किया जाएगा। अस्पतालों की जानकारी जुटाई जा रही है।
No comments