एल.डी. मानिकपुरी, सहायक जनसम्पर्क अधिकारी रायपुर । जब हम अपने देश से किसी दूसरे देश में पर्यटन के लिए जाते हैं या कोई अन्य देश से ह...
- एल.डी. मानिकपुरी, सहायक जनसम्पर्क अधिकारी
रायपुर । जब हम अपने देश से किसी दूसरे देश में पर्यटन के लिए जाते हैं या
कोई
अन्य देश से हमारे देश में पर्यटन के लिए आता है तो देशों के बीच परस्पर
मैत्री संबंधों का विस्तार होता है और दोनों देशों की सांस्कृतिक,
राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक विकास की गति सुनिश्चित होती है। विश्व
पर्यटन संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ की ही एक अंगीकृत संस्था है, जिसकी
स्थापना साल 1976 में हुई थी। इस संस्था का मुख्यालय मेड्रिड स्पेन में है
लेकिन इसको बनाने का संविधान 27 सितंबर 1970 को ही पारित हुआ था जिस कारण
इस दिन हर साल विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। इसी कड़ी में हम छत्तीसगढ़
के सरगुजा संभाग खासकर कोरिया जिले के
आसपास के पर्यटन स्थलों का जिक्र करने जा रहे हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश
राज्य में 25 मई 1998 को कोरिया को जिला का दर्जा मिला था। जिला कोरिया का
नाम यहां के पूर्व रियासत कोरिया से लिया गया है। जिला बनने से पहले यह
क्षेत्र सरगुजा जिले के अंतर्गत था। प्रकृति की गोद में बसे और हरियाली
की चादर से ढंके कोरिया जिला विभिन्न विविधताओं से भरे हैं। वर्षा ऋतु में
जब प्रकृति अपने सौन्दर्य की चरम-सीमा पर होती है तो
कोरिया जिले की कुछ महत्वपूर्ण नदियों पर बनने वाली जलप्रपात को भी
सुन्दरता प्रदान करती है। यह जलप्रपात स्वतः ही अपनी सुन्दरता बिखेरती
है।कोरिया जिले के आसपास कई ऐसे जलप्रपात हैं, जो विहंगम दृश्यों को परिचित
कराती है और उस जगह से नजर हटाने का मन भी नहीं करती। हसदेव नदी के उद्गम
स्थल भी कोरिया जिले को माना जाता है। कोरिया जिले के आसपास घासीदास
राष्ट्रीय उद्यान, हसदेव नदी पर गौरघाट, च्युल जलप्रपात, अकुरी नाला
जलप्रपात, अमृतधारा जलप्रपात, गेज परियोजना, झुमका बोट, कोरिया पैलेस आदि
हैं, तो रामगढ़ स्थित जोगीमारा एवं सीताबंेगरा गुफा में मर्यादा पुरूषोत्तम
श्रीराम ने माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ प्रवास किया था। माना जाता है
कि रामगढ़ स्थित गुफाओं में श्रीराम की महर्षि विश्रवा
से भंेट हुई। इस स्थान पर एक प्राचीन नाट्यशाला स्थित है। माना जाता है कि
यहां की पहाड़ियों पर कालिदास ने मेघदूतम महाकाव्य की रचना की है। यहां
स्थित गुफा में प्राचीन शैलचित्र में अंकित है। वैसे तो सम्पूर्ण सरगुजा
संभाग अपनी प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण है। सरगुजा जिले के महेश्पुर,
उदयपुर से केदमा मार्ग पर जाना पड्ता है। यहां दसवीं शताब्दी की प्राचीन
शिव मंदिर, छेरिका देउर के विष्णु मंदिर, आठवीं शताब्दी तीर्थकर वृषभ नाथ
प्रतिमा जैसे अनेक स्थल हैं। सरगुजा जिले में ही देवगढ प्राचीन काल की ऋषि
यमदग्नि की साधना स्थल रही है। इसके अलावा अनेक मठ, पुरातात्विक कलात्मक
मूर्तियां एवं प्राकृतिक सौंदर्य है। रामगढ पर्वत टोपी आकार में है। इसी
जिले में ही प्राकृतिक वन सुषमा के बीच कैलाश गुफा स्थित है। इसे संत
रामेश्वर गहिरा गुरूजी ने पहाड़ी चटटानो को ताराश कर निर्मित करवाया है।
मैनपाट को छत्तीसगढ का शिमला कहा जाता है। मैंनपाट विन्ध पर्वतमाला पर
स्थित है। यहां सरभंजा जल प्रपात, टाइगर प्वाइंट, मछली प्वांइट प्रमुख
दर्शनीय स्थल हैं। रिहन्द एवं मांड नदी का उदगम स्थल भी मैनपाट से हुआ
है। इसे
छत्तीसगढ़ का तिब्बत भी कहा जाता हैं। यहां तिब्बती लोगों का जीवन एवं बौध
मंदिर आकर्षण का केन्द्र है। जशपुर, सूरजपुर, बलरामपुर, मनेन्द्रगढ़-
चिरमिरी-भरतपुर जिले भी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है। सरगुजा
संभाग में ही तातापानी जो प्राकृतिक रूप से निकलते गरम पानी के लिए
प्रसिद्ध है। डीपाडीह 8वीं से 14वीं शताब्दी के शैव एवं शाक्य संप्रदाय के
पुरातात्विक अवशेष बिखरे हुए हैं। यहां अनेक शिवलिंग, नदी तथा देवी दुर्गा
की कलात्मक मूर्ति स्थित है। शासन-प्रशासन की मदद से पर्यटकों के लिए कई
पर्यटन क्षेत्रांे को
चिन्हांकित कर उसे पर्यटनीय क्षेत्र के रूप में विकसित भी किया जा रहा है
ताकि ज्यादा से ज्यादा पर्यटक यहां आकर इस जलप्रपात, हरियाली और घने वनों
को निहार सके। व्यक्ति के जीवन और देश व राज्य के विकास में पर्यटन की
भूमिका
अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में लोगों को पर्यटन के प्रति जागरूक करने
के साथ उन्हें पर्यटन के लाभ और महत्व के बारे में बताया जाना जरूरी है।
पर्यटन का प्रभाव सांस्कृतिक स्तर पर भी विशेष रुप से पड़ता है, क्योंकि
सांस्कृतिक स्थलों पर पर्यटन को बढ़ावा देना सभ्यता और संस्कृति के विकास का
जरिया है। मौजूदा छत्तीसगढ़ के भूपेश सरकार ने राम वन गमन पर्यटन परिपथ
शुरू
किया है तो छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, परम्परा, आस्था, खेलकूद व खान-पान को
बढ़ावा देने के लिए भी अनेक योजनाएं शुरू की है ताकि छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक
खूबसूरती और यहां की जीवनशैली को और बेहतर तरीके से समझा और जाना जा सके।
जरूर कोरिया अंचल की सैर कीजिये और प्रकृति के बीच रहने का आनन्द लीजिए।
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