जगदलपुर। तीन अक्टूबर को जगदलपुर प्रवास पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नगरनार इस्पात संयंत्र को देश को समर्पित कर सकते हैं। लालबाग मैदान में...
जगदलपुर। तीन अक्टूबर को जगदलपुर प्रवास पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नगरनार इस्पात संयंत्र को देश को समर्पित कर सकते हैं। लालबाग मैदान में आयोजित कार्यक्रम (जनसभा) में वर्चुअल माध्यम से इस्पात संयंत्र को देश को समर्पित करने की योजना बनाई गई है। राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) मुख्यालय हैदराबाद से इस्पात संयंत्र प्रबंधन को मौखिक निर्देश मिलने के बाद तैयारियां तेज कर दी गई हैं। पूरे संयंत्र क्षेत्र को होर्डिंग्स, बैनर, पाेस्टर से सजाया जा रहा है। मिली जानकारी केे अनुसार केंद्रीय इस्पात राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और इस्पात सचिव नागेन्द्र नाथ सिन्हा दो अक्टूबर को जगदलपुर पहुंच जाएंगे। इसी दिन एनएमडीसी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक अमिताभ मुखर्जी निदेशक मंडल के सदस्यों के साथ पहुंचेंगे। जगदलपुर से 17 किलोमीटर दूर नगरनार में लगभग 25 हजार करोड़ रुपये की लागत से स्थापित इस संयंत्र की सालाना उत्पादन क्षमता तीन मिलियन टन है। यहां हाट रोल्ड क्वाइल का उत्पादन किया जा रहा है। देश में तीन दशक पहले सार्वजनिक क्षेत्र में राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड ने विशाखापत्तनम में इस्पात संयंत्र की स्थापना की गई थी। लंबे अंतराल के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की नवरत्न कंपनी एनएमडीसी ने नगरनार में एकीकृत ग्रीनफील्ड इस्पात संयंत्र की स्थापना की है। हाल ही में 24 अगस्त को इस्पात संयंत्र की कमीशनिंग की प्रक्रिया पूरी कर क्वाइल का उत्पादन शुरू किया गया है। प्लांंट बस्तर के औद्योगीकरण में मील का पत्थर बनेगा। यहां सैकड़ों सहायक उद्योेगों की स्थापना हो सकेगी। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 30 हजार से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। नगरनार में स्टील प्लांट की स्थापना के लिए दो बार आधारशिला रखी गई थी। पहली बार रसिया की रोमेल्ट तकनीकी पर आधारित इस्पत संयंत्र के लिए 23 सितंबर 2003 को तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने अाधारशिला रखी थी। तकनीकी का हस्तांतरण नहीं होने के कारण दोबारा परंपरागत ब्लास्ट फर्नेस रूट पर अाधारित एकीकृत ग्रीनफील्ड इस्पात संयंत्र के लिए तीन सितंबर 2008 को तत्कालीन इस्पात मंत्री रामविलास पासवान ने दोबारा इसकी अाधारशिला रखी थी। तकनीकी के मामले में नगरनार इस्पात संयंत्र देश का अग्रणी संयंत्र है। संयंत्र के निर्माण में आठ देशों की तकनीकी का उपयोग किया गया है। स्टील प्लांट का निर्माण 2011 में शुरू हुआ था। देश का दूसरा सबसे बड़ा ब्लास्ट फर्नेस (4506 क्यूबिक मीटर) इसी इस्पात संयंत्र में है। जिसका नामकरण बस्तर की अराध्य देवी मां दंतेश्वरी का नाम पर किया गया है। नगरनार इस्पात संयंत्र में बनने वाले उच्च गुणवत्ता वाले हाट रोल्ड क्वाइल का उपयोग आटोमोबाइल सेक्टर में बहुतायत में किया जाएगा। जहाज, रेल के डिब्बे, एलपीजी सिलेंडर से लेकर कई िचीजाें के निर्माण में क्वाइल काम आएगा।
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