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तो चाय वाले की ‘मान की बात’ सुनी... पीएम मोदी के उत्तराखंड के चंपावत दौरे से पहले लेटर वायरल

चंपावत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड के चंपावत जिले के लोहाघाट आगमन से पहले शहर में एक वायरल पत्र को लेकर चर्चाएं हैं। यह पत्र एक ...


चंपावत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड के चंपावत जिले के लोहाघाट आगमन से पहले शहर में एक वायरल पत्र को लेकर चर्चाएं हैं। यह पत्र एक चायवाले का है, जो उन्होंने पिछले साल पीएम मोदी को भेजा था। इसमें चायवाले ने मोदी से लोहाघाट के मायावती स्थित अद्वैत आश्रम आने का आग्रह किया है।

अब पीएम का कार्यक्रम लगभग तय है। तो लोगों का मानना है कि चाय वाले के मन की बात पीएम मोदी ने सुन ली। यह वायरल पत्र पिछले साल 18 सितंबर का है। जो चम्पावत नेशनल हाईवे पर लोहाघाट बाजार में गैस गोदाम के पास चाय का खोखा लगाने वाले मदन मोहन खोलिया (50) ने प्रधानमंत्री मोदी को भेजा था।

मदन मोहन ने पीएम को पत्र में लिखा था कि वह लोहाघाट क्षेत्र के निवासी हैं और एनएच किनारे खोखा लगाकर चाय बेचते हैं। इससे ही वह परिवार की गुजर बसर करते हैं। पत्र में उन्होंने पीएम से अनुरोध किया है कि लोहाघाट से मात्र 12 किलोमीटर दूरी पर स्वामी विवेकानंद की तपस्थली रहा मायावती आश्रम है।

मदन मोहन ने पीएम से एक बार यहां जरूर आने का अनुरोध अपने पत्र में किया था। अंत में मदन मोहन ने लिखा था कि ‘मोदी जी, आपने केदारनाथ में योग साधना की है। एक बार मायावती आश्रम भी जरूर आएं।

पीएम मोदी को भेज चुके 70 से अधिक पत्र

मदन मोहन कहते हैं कि वह पीएम मोदी को अब तक 70 से अधिक पत्र लिख चुके हैं। खास बात यह है कि सभी पत्रों के जवाब भी उन्हें आए हैं। इसी के चलते वह मानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने मायावती आश्रम आने का कार्यक्रम बनाने में कहीं न कहीं उनके पत्र का ध्यान भी रखा है।

मदन मोहन की दो बेटियां और दो बेटे हैं। दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है। जबकि दोनों बेटे अभी पढ़ रहे हैं। मदन मोहन बताते हैं कि जब भी वह किसी तरह की दुविधा में होते हैं, तो तुरंत मोदी जी को पत्र लिखते हैं।

पीएम से की शिकायत तो चंद घंटे में मिला लोन

मदन मोहन खोलिया बताते हैं कि कुछ साल पहले उन्हें मुद्रा लोन चाहिए था। उन्होंने बैंक में आवेदन किया, लेकिन बैंक ने लोन देने से इनकार कर दिया था। लोन न देने के बैंक ने कई कारण बताए थे। कहा कि इसके बाद उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिखा।

इसके बाद बैंक के प्रबंधक खुद उनके घर पहुंचे थे और उन्हें मन मुताबिक लोन दिया था। मदन मोहन बताते हैं कि इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद पत्र भी भेजा था।

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